Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay,
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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पाइअवि
स्नाणकहाप
इह वाणी सिरिदेवी-विवायनिण्णयकर सुबोहकहं । सोच्चा भव्वा तुम्हे, होह सयायारतलिच्छा ॥१०॥ लच्छीसरस्सईदेवीणं संवायम्मि अठ्ठत्तरसययमी कहा समत्ता ॥१०८॥
--धन्यकुमारचरित्रात
लच्छीसरस्सई देवीण कहा-१०८
॥१९६॥
पसत्थी सिरिनेमिसूरिराय, पगुरुं पणमामि घोरबंभवयं । पोढप्पयावकलियं, तवगच्छनहंगणनहमणि ॥१॥ पारिति गंथरयणे, जस्स पसाएण मारिसा मंदा । समयण्णु तं च गुरुं, नमिमो सिरिसूरिविन्नाणं ॥२॥ सीसेण तस्स रइया, एयाउ कहाउ भवियबोहर्ट । कत्थूरायरिएणं, वरिसे रंसहत्थनहर्नयणे ॥३॥ साबरमईपुरीए, चिंतामणिपासनाहसंणिज्झे । पाइयविन्नाणकहा-बीयविभागो को पुण्णो ॥४॥ पंचपरमेटिगयगुण-गणसंभरणं सिया सया हियए । इअ हेडं लक्खित्ता, कया कहा अट्ठसहियसया ॥५॥ जाव समुद्दो लवणो, नक्खत्तविरहिरो सुमेरू य । गयणम्मि य रविससिणो, ताव जएज्जा कहा एसा ॥६॥
इअ सिरितवागच्छाहिवइ-सिरिकयंबप्पमुहाणेगतित्थोद्धारग-सासणप्पहावग-आबालबंभयारि-सूरीसरसेहर-आयरियविजयनेमिसूरीसर-पट्टालंकार-समयण्णु-वच्छल्ल
वारिहिआयरियविजयविन्नाणसूरीसर-पट्टधर सिद्धंतमहोदहि-पाइयभासाविसारयायरियविजयकत्थूरसूरिविरइयाए पाइयविन्नाण
कहाए बिइय-भागो समत्तो।
जाव समुहीमाणसंभरण नाहसणिज्झे ।
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o
nal
॥१९६॥ w.jainelibrary.org
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