Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay, 
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 225
________________ पाइअवि W सुद्धिपत्तग स्नाणकहाण पंतीए १९७॥ २ . सम्गाइ सोच • सुंणरीए णिसुयपुवं उंदुस्तणं ठुइयाई १ मत्त चित्तमाणाए असुछ मत्ताणं दम्भाण संमिय वरिसेजे टुवित्ता होइ सच्चमविभा० जह मणियार. सरियाम. तत्तोमे कन्जव भरू० पाविहिई जुज्झिऊं पलाइऊ सेज्जायरध. पाइयविन्नाणकहाए सुद्धिपत्तगं सुच भत्ताणं दम्माण १. २ •संमि य बरसे जे ठवित्ता होह सच्चमवि भा० मणियारो जहा इहं सरियाम , टिप्प. तत्तो मे १२ १० कन्नवे. १४ ३ भरु. पाविहिद १५ १० जुज्झिउं पलाइड सेज्जायरघरे १८ १३ खग्गाइ. सोय सुंदरीए णिसुयपुव्वं, उंदुरत्तण ठड्याई भत्त. चित्ताणामाए वासारत्तो पेज. १० नुं भणियं वयणं निवेइकण त्तणेण वासारतो विचरन्ति भणिय ०वणं निवेइउण त्तिणेणे देई भाविणीं करूणा भाविर्णि करुणा ॥१९७॥ Jain Education Interracial For Personal & Private Use Only w anzbrary.org

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