Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay, 
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 190
________________ पाइअविन्नाणकाए लच्छीसरस्सईदेवीणं कहा-१०८ ॥१२॥ भावणा जाया, जीए तस्स विमलं केवलनाणं पाउन्भुयं । तओ सो निम्मलकेवलनाणपयडियतिहुवणबत्थुवित्थरो गंतु तहा पयट्टो जह तस्स पयखलणा न हवेइ । ___ अह जायंमि पभाए दंड-पहारुत्थ -रुहिर उल्लसिरं सिक्खगं दळूणं चंडरुद्दसूरी विचिंतेइ–'पढमदिणदिक्खियस्स वि सिक्खगस्स अहो ! एवंविहा खमा. मह पुणो विहला सुयसंपया, खमागुणेण विहीणस्स मम सूरित्तं धी ! धी!' इअ संवेगवेगओ तं पराए भत्तीए खामंतो तं झाणं पडिवन्नो जेण सो वि केवली जाओ । एवं ते दुण्णि केवलनाणिणो भब्वे जीवे पडिबोहिऊणं अयरामरपयं संपत्ता। ___ एवं खामण-खमणेहिं जीवा अच्चंत-निम्महिय-पावसंघाया जीवा भवन्ति । खमणापरो य खमणो, अणुत्तरं तवसमाहिमारूढो । पप्फोडतो विहरइ, बहुभवबाहाकरं कम्मं ॥ उवएसोखमणमि खामणमि य, नच्चा फलमिह खमणवराणं हि । तुम्हे वि तहा सययं, भवेह आराहणिक्कपरा ॥१७॥ सव्वेसिं खमणमि खमावणंमि य चण्डरुद्दायरियस्स सत्तुत्तरसयइमी कहा समत्ता ॥१०७॥ -संवेगरंगसालाओ। लच्छी-सरस्सईदेवीणं संवायंमि अछुत्तरसयइमी कहा--||१०८॥ लच्छी-सरस्सईणं, संवाओ वुच्चए त्थ बोहगरो । सोच्चा तं झाइत्ता, जत्तो कज्जो सया सोक्खे ॥१०८॥ १. क्षमणः । ॥१६॥ in Education Thamnational For Personal Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232