Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay, 
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 116
________________ पाइअवि न्नाणकहाण ॥८८॥ सत्तयरूवं अमतववत्तं सोच्चा जायजाइसुमरणो थण्णपाणगो वि अमं तवं कासी । तओ तं थण्णपाणं अकुणंत पज्जुसियमालईकुसुमं पिव मिलाणं आलोइऊणं मायपियरा अणेगे उवाए अकरिंसु, कमेण य मुच्छियं तं बालं मयं | नागकेउणो कहा-८४ नच्चा सयणा भूमीए निखिविरे । तओ य विजयसेणो राया तं पुत्तं तदुक्खेण य तस्स पियरं मयं वियाणित्ता तद्धणगहणट्रं सुहडे पेसित्था । इओ य अद्वमतवपहावाओ पकंपियासणो धरणिदो सयलं तस्सरूवं वियाणिऊणं भूमिट्रियं तं बालगं अमयछंटाए आसासिऊणं माहण-रूवं किच्चा धणं गिण्हमाणे सुहडे निवारित्था । तं सोचा राया वि तुरियं तत्थ आगंतूणं वयासी- भो माहण ! परंपरागयं अम्हाणं अपुत्तधणग्गहणं कहं निवारेसि । धरणिंदो साहित्थाराय ! जीवेइ एयस्स पुत्तो। 'कहं कत्थ अत्थि' त्ति निवाईहिं वुत्तो सो भूमित्तो तं जीवमाणं बालगं सक्खं किच्चा निहाणं पिव दंसित्था । तओ सव्वेहिं पि सविम्हएहि-'सामि ! को तुमं, को एसो' त्ति पुढे सो वयासी--अहं धरणिंदो नागराओ कय--अटुम-तवस्स अस्स महप्पणो सहेज्जलु आगओम्हि । रायपमुहेहिं वुत्तं 'सामि ! जायमेत्तेण एएण अट्ठमतवो कहं कओ' ? । धरणिंदो वएइ--राय ! एसो हि पुब्बभवम्मि कोइ वणियपुत्तो बालत्तणम्मि मयमायरो होत्था । सो य अवरमाऊए अच्चतं पीलिज्जमाणो मित्तस्स नियदुक्खं कहित्था । सो वि 'तुमए पुब्बजम्मम्मि तबो न कओ तेण एवं पराभवं लहसि' त्ति उवदिसित्था । तओ एसो जहसत्तितव-कम्मनिरओ आगामिणीए पज्जुसणाए अवस्सं अट्ठमं तवं करिस्सं ति मणंसि निच्चयं काऊणं तिणकुडीयरम्मि सुवित्था । तइया लद्धावसराए विमाऊए आसनवन्हिकणाओ अम्गिकणो तहिं निक्खित्तो, तेण य कुडीरयम्मि जलियम्मि सो वि मओ। अदुमज्झाणाओ य इमो ॥४॥ सिरिकंत-महिब्भनंदणो जओ। तओ अणेण पुन्वभव--चिंतिओ अट्ठमतवो विहिओ। तओ एसो महापुरिसो in Education For Persona Private Use Only Jainelibrary.org

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