Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay,
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
View full book text ________________
पाइअविन्नाणकहाण
धुत्तस्स
कहा-९६
॥११॥
धणलुद्धस्स धुत्तस्स छण्णउइयमी कहा-।। ९६ ।। धणलुद्धजणा एत्थ, सहते छेयभेयणं । इह धुत्तस्स दिटुंतो, लोगाणं बोहदायगो ॥१६॥
रयणसंचयाए नयरीए रयणक्कसेट्रिणो पउमो नाम पुत्तो होत्था । सो य सेट्री पुत्तस्स पुरओ एगया रहंसि वयासी-पुत्त ! बहुवि लच्छि राय-बंधव-चोर-दायादपमुहा हरेइरे, अओ कियंती सिरी भूमिमज्झम्मि खिविज्जइ । तओ अद्धनिहाणं घेत्तूण पुराओ बाहिरं गंतूणं देवगेहासण्णभूमि खणिऊणं जइआ धणं ठबिउं सज्जीहूओ तइया रयणक्कसेट्टी पुत्तं पइ आह 'पलोएसु देवघरं' कयाबि कोबि पुरिसो धुत्तो अन्नो वा होहिइ सो धणं घेत्तूणं जाहिइ । तओ पुत्तो तहिं गंतूणं सुत्तं एगं नरं दळूणं पिउणो पुरओ साहित्था । पिआ साहेइ-कोवि धुत्तो निहिं गहिउं आगओ मिसं काऊणं ठिओ होज्जा । तओ पिउणा पुणो सो पेसिओ समाणो तहिं गओ, सुटु निरिविखअ मैयपायं तं दळूणं पिउणो अग्गओ अकहिंसु । पिआ कहेइ-परिक्खिऊणं जीवंतस्स मयस्स य तस्स कण्णे छिदित्ता समाणेहि । तओ पुत्तो तत्थ गच्छित्ता छुरिगाए कण्णे छिन्दित्था, सो न ऊससिओ। कण्णे घेत्तूणं पिउस्स ते अप्पिया । पुणो नासिगानिमित्तं सो पेसिओ। तेण नासिगाए छिण्णाए वि सो न ऊससिओ। तओ मयं तं निण्णेऊणं धणं निहाणीकाऊणं पिआपुत्ता गिहं समागया ।
पुणो एगया पियापुत्ता वणं गया। निहाणं गयं दळूणं उयरं कुट्टिऊणं गिहं आगया । तेहिं च वियाणियं-अम्हाणं लच्छी तेण धुत्तेण गहिया । तओ अन्नया विडनडमझमि विलसंतं गयनासिकाकण्णं उवलक्खित्ता रण्णो अग्गओ
॥११८॥
१. मृतप्रायम् ।
Jain Education a
nal
For Personal Private Use Only
IPL-jaineterary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232