Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay,
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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पाइअविन्नाणकहाए
10
खुडगमु णिणो कहा-२०१
॥१३०॥
हावो दीसइ, रायराएसरा वि तेयहीणा चेव वढेइरे। सत्तुविणासणटुं जुवइजणवसीकरणटुं च मलिणविज्जापओगो कराविज्जइ । जंमि एसा मइलविज्जा मुंचिज्जइ, सा तं समूलं विणासेइ । पंडिओ साहेइ-कासीए एयारिसमलिणविज्जासाहगा बहवो जणा दिवा, ते सव्वे मंसमजंमि पसत्ता, उम्मग्गगामिणो होऊणं पज्जते सारीरिय-माणसियदुक्खदिया असमाहिभावपत्ता सुणिज्जति, अओ अलं इमाए मइलविज्जाए त्ति वोत्तूणं नियगामंमि समागओ सत्थत्थचिंतणपरो नियधर्ममि दिढयरो संजाओ । उवएसोबंभणविउसस्सकह, जणाण सम्मम्गदसणहाए । सोच्चा भविया तुम्हे, जह स-परहियं तहा जयह ॥१०॥ तामसीविज्जागहणंमि विउसमाहणस्स सयइमी कहा समत्ता ॥१०॥
-गुज्जरकहाए । पमायपसत्तस्स खुड्डगमुणिणो एगुत्तरसयइमी कहा - ॥ १०१ ॥ कयकरणा वि सकजं, अच्चंतपमाइणो न साहिति । परिवडियविरइबुद्धी, आहरणं खुड्डगो एत्थ ॥१०१॥
महिमंडणनयरंम्मि नाणाइगुणनिहाणो सिरिधम्मघोससूरी बाहिरुज्जाणंमि समोसरिओ। तस्स आयरियस्स निम्मलगुणाणं मुणीणं पंचसयाई परिवारो अस्थि । तप्परिवुडो सो सुरसहिओ सुरिंदो व्व रेहइ । नवरं ससहरसरिच्छे तग्गच्छे रयणायरे वडवग्गी विव, सुरपुरंमि राहुव्व परितावकरो भीमो अइकलुसमई निद्धम्मो सीलपसमगुणवियलो साहूणं असमाहिगरो रुद्दो नामेणं सीसो आसि । मुणिजणनिदियकज्जे भुज्जो भुज्जो समायरंतं तं समणा करुणाए महुरव
१. तदधीनाः ।
॥१३०॥
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