Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay,
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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पाइअवि
न्नाणकहा
सयभुदत्त| साहुणो कहा-१०६
।१५४॥
एवं वेहाणस-गि-द्धपट्टमरणाइकारणवसेणं । नूणमणुण्णायाई, जिणेहि तइलोक्कमहिएहिं ॥ उवएसो"दुण्डं समणवराणं, समाहिवरदंसगं हि सच्चरियं । सोच्चा भविया ! तुम्हे, तहा वयाऽऽराहगा होह ॥१०५॥ संजमविराहणप्पसंगे मुणिवरदुगस्स पंचाहियसययमी कहा समत्ता ॥ १०५॥
संवेगरंगसालाओ। 'संजमविसुद्धीए सइ अपमत्तभावो कायव्वो' इह सयंभुदत्तसाहुणो छउत्तरसयइमी
कहा ॥१०६ ॥ सव्वट्ठदेवजोग्गो, विसुद्धसंजम-पहावओ साहू । एक्केण हि रागेण, सोहम्मे पडिय संजाओ ॥१०६॥
चारित्ताराहणोज्जुत्त-सयंभुदत्तसाहुणो । साहिज्जए इहं नाय, संजमसोहिवड्ढगं ॥ १०६॥ कंचणपुरंमि नयरे जणपसिद्धा दो भायरा परुप्परदढपणया सयंभुदत्तो सुगुत्तो य वसंति । तेसिं नियकुलक्कमअविरुद्धवित्तीए जीवणुवायं कुणमाणाणं लीलाए कालो वोलेइ । अह एगमि अवसरे कूरगहवसओ वुट्ठीविरहेण पउरजणजणियदुक्खं घोरं दुब्भिक्खं निवडियं, ताहे चिरसंगहिया महंता वि तिणरासिणो खीणा, सुमहल्ला वि धन्नाण वि पल्ला निहणं उवगया । सीयंतचउप्पय-दुपयवग्गं अवलोइउणं परिचत्तववत्थो उब्विग्गो पत्थिवो वि नियपुरिसे आणवेइ-रे! रे! पुरिसा ! जस्स गेहमि धन्नसंचओ जत्तिओ अस्थि, तस्स तेत्तियं एयस्स अद्धं वा बलाओ सिग्धं गिण्हेह त्ति । एवं आण
॥१५४॥
१. तदा ।
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