Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay, 
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 141
________________ पाइअविन्माणकहाण कुम्मापुतस्स कहा-९४ ५११३॥ खवगसेटिं पबन्नस्स मुक्कज्झाणानलेण कम्मिंधणनिवहं दहंतस्स तस्स अणंतं केवलवरनाणं समुप्पन्नं । जइ ताव चारित्तं अहं गिण्हामि ता नृणं सुयसोगवियोगदुहियाणं मायतायाण मरणं हवेज्जा । तम्हा केवलनाणी भावचारित्ती सो कुमारो नियमायतायउवरोहाओ घरम्म चिरं चिय चिढइ । वुत्तं चकुम्मापुत्तसरिच्छो, को पुत्तो मायतायपयभत्तो । जो केवली वि स घरे, ठिओ चिरं तयणुकंपाइ ॥ कुम्मापुत्ता अन्नो, को धन्नो जो समायतायाणं । बोहत्थं नाणी वि हु, घरे ठिओऽन्नायवित्तीए ॥ जं गिहिणो वि कुम्मापुत्तस्स केवलनाणं उप्पन्नं, तं तत्थ भावविसुद्धी वियाणियब्बा । भावेण भरहचक्की आयंसघरम्मि, वंसग्गमारूढो मुणिवरे पेक्खतो इलाइपुत्तो, तह य भरहेसरपिक्खणं कुणतो गिहत्थो वि आसाढभूइमुणी केवलनाणं संपत्तो । तओ मेरुस्स सरिसवस्स य जेत्तियमित्तं अंतरं तत्तियं दव्व-भावत्थवाणं अंतरं वियाणियत्वं । वुत्तं चउक्कोसं दव्वत्थवं, आराहिअ जाइ अच्चुयं जाव । भावत्थवेण पावइ, अंतमुहत्तेण निव्वाणं ॥ इह महाविदेहम्मि मंगलावई विजए रयणसंचया नाम नयरी, तीए नयरीए देवाइच्चो नाम चकवट्टी रज्ज परिभुजइ । अण्णया जगदुत्तमनामो तित्थयरो उज्जाणम्मि समोसरिओ। देवेहिं समोसरणं विनिम्मियं । चक्की जिणागमणं सोच्चा सपरिवारो वंदणकए समागओ । तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करिअ जिणंदं वंदिअ उदयपयेसे उबविट्ठो । तओ सो पहू भवियजणाणं सुहासमाणीए वाणीए धम्मं कहेइ-भो ! भो ! सुणंतु भविया ! अयं जीवो कहं पि निगोयमज्झाओ निग्गंतूणं बहुएहिं भवेहिं पबलपुण्णेहिं मणुअत्तं, तत्तो आरियखित्तं नीरोगदेहं सुहगुरुसंजोगं धम्मसवणं For Personal Private Use Only ॥११३॥ Education n ational www.jainelibrary.org

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