Book Title: Nijdhruvshuddhatmanubhav
Author(s): Veersagar, Lilavati Jain
Publisher: Lilavati Jain

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Page 14
________________ चार्ट नं. 5 ) ज्ञान के प्रामाण्य की ज्ञप्ती अभ्यस्त में स्वतः (अर्थात उस ही क्षणमें ) होती है। अनभ्यस्त में परतः ( अर्थात उस ही क्षण से अन्य क्षणमें ) होती है। निर्विकल्पस्वसंवेदन . . नय जल्प अभ्यस्ता अनुमान स्वतः सम्यक्त्व। तर्क . प्रत्यभिज्ञान स्मरण क) इसके प्रामाण्य की ज्ञप्ति उसही क्षणमें होती है, इसलिए स्वतः अभ्यस्तसम्यक्त्व उत्पाद है निर्विकल्पवसंवेदनप्रत्यक्ष : प्रामाण्यसहित . सूक्ष्ममिथ्यात्व-सूक्ष्मपरसमय / सविकल्पसंवेदनप्रत्यक्ष (करणलब्धी) अनुमान / युक्तियाँ है तर्क प्रायोग्यलब्धि प्रत्यभिज्ञान स्मरण / देशनालब्धि देशना है / अनभ्यस्त म) इसके प्रामाण्य की ज्ञप्ती आगे 'क' क्षणमे होती है, इसलिए परतः अथवा है। .. अदेशना / -स्थूलमिथ्यादृष्टि / (उपदेश नहीं) -स्थूलपरसमय

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