Book Title: Nandanvan Kalpataru 2019 06 SrNo 42
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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तहेव, सिरिसत्तुंजयतित्थे पंचसयाहिअजिणबिंबाण देवकुलियाहिं निम्मविअस्स अहिणवजिणचेइअस्स पइट्ठा वि तेसिं चेव निस्साए संजाया । एसा खु तेर्सि दरिसणभत्ती ।
पाइअभासाविसारएहिं तेहिं अन्नेसिं पाइयभासासिक्खवणत्थं पढमं पाययरूवमाला विरइया । तओ पाइयविन्नाणपाढमाला पाइयवागरणानुसारेणं निम्मिआ, जा सव्वेसिं पाययभासाज्झयणकारगाणं सिक्खगाणं च अज्ज वि उवगारं करेइ । तओ पाइयभासाए चेव तेहिं पाइयविन्नाणकहा, सिरिथंभणपासणाहमाहप्पं, सिरिरिसहदेवचरियं, सिरिचंदरायचरियं इच्चाइणो गंथा विरइया । पाइयविन्नाणगाहा, करुणस्सकदंबगो य त्ति संकलणगंथा निम्मिया । सक्कयभासाए श्रीचन्द्रराजचरित्रं तहा कलिकालसव्वण्णुसिरिहेमचंदसूरीहिं विरइयस्स अभिहाणचिंतामणि-णामसद्दकोसस्स सविवेयणं संपायणं कयं । एवमन्ने वि बहुणो गंथा विरइया संकलिया संपाइया य । एसा खु तेर्सि सुयभत्ती ।
___ एवं च एए आयरियपाया सव्वं पि नियजीवणं दरिसण-सुय-चरित्त-भत्तीए वोलित्ता सव्वहा णिम्मलमाणसा पवित्तचित्तवित्तिणो य अरिहंतपयसुमरणं करेंता सोजित्तागामे समाहिपुव्वयं सग्गगामिणो जाया । अज्ज वि तेसिं समाहिभूमीए आराहणेणं जणाणं णाणग्गहणसत्ती वुढेि पावेइ ।
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