Book Title: Nandanvan Kalpataru 2019 06 SrNo 42
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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लुंछंता घम्म-जलं कज्जल-पुंछिअ-मुह व्व तेण भडा । पर-तेअ पुंसणेणं फुसिअ-जसा हक्किआ के वि ॥६७॥ पहु-नामापुसणो धम्माहुलणो वेरि-नाम-मज्जणओ । तं मूरीअ गइंदं गुज्जर-लोओ अवेमइओ ॥६८॥ सूडिअ-सूहडो सूरिअ-तुरंगमो विरिअ-बाण-पसरो य । मुसुमूरिअ-सिरताणो करंजिओ कुंकुणाहिवई ॥६९॥ पविरंजिआतवत्तो नीरंजिअ-विजय-वेजयंतीओ। सो लूण-सीस-कमलो कओ तुहाभंजिअ-भडेहि ॥७०॥ नय-पडिअग्गिर अणुवच्चिओ सि दाहिण-दिसाइ तुममिहि । विढविअ-कुंकुण-सत्तंग-संपओ अज्जिअ-जसोह ॥७१॥ पहु सिरि-नयर-सिरीए जुज्जसि जुप्पसि तिलंग-लच्छीए । जुज्जसि कंचि-सिरीए भुंजतो दाहिणि इण्हि ॥७२॥ सिंधु-वई तुह चमढण-वेलिल्लो तुमइ दिन्न-चड्डणओ । न जिमइ दिवसे जेमइ, निसाइ पच्छिम-दिसाइ तह ॥७३॥ तंबोलं न समाणइ कम्मण-काले वि नण्हए जवणो । विसए अ नोवभुंजइ भएण तुह वसुह-कम्मवण ॥७४॥ मणि-गढिअ-कणय-घडिआहरणे उव्वेसरो वर-तुरंगे । संगलिअ लक्ख-संखे पेसइ तुह रिउ-असंघडिओ ॥७५॥ हरिसमुरिआणणो सो महि-मंडण कासि-रीडणो राया । टिविडिक्कइ तुह वारं हय-चिंचिअ-हत्थि-चिंचइअं ॥७६॥ चिंचिल्लिओ अखट्रिअ-भत्तीइ तमम्मि मगह-देस-निवो । अक्खुडिअ-पुव्व-गव्वो अतुट्टिअं पाहुडं देइ ॥७७॥ अखुडिअ-गमणमतोडिअ-मदमतुडिअ-लक्खणं महेभ-कुलं । अणिलुक्कंत सिणेहो गउडो पेसीअ तुज्झ कए ॥७८॥ लुक्किअ-जसमुल्लूरिअ-पयावमुल्लुकिअ-मेइणि काही । घोलंती तुह सेणा भय-धुलिअं कन्नउज्जेसं ॥७९॥ तुज्झ पहल्लिर-सिविरे घुम्माविअ-ढंसमाण-कुम्मम्मि । दिढे वि दसण्ण-वई विवट्टमाणो भए मरही ॥८०॥
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