Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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मूळपयडिसत्तामूलगाथा ] सत्ताविहाणं काये ओरालदुगे, कम्मणजोगभवियेसु आहारे । घाईण अणंतंसा, भागो ण भवे अघाईणं ।।५।। अट्ठण्ह अणंतंसो, अवेअअकसायसम्मखइएसु । केवलदुगम्मि गेया, अणंतभागो अघाईणं ॥५७। घाईण अहक्खाये, संखंमो अणयणे अणंतंसा । मोहस्म ण अण्ण सिं, दोसु वि सेसासु णऽढण्हं ॥५८॥ इह मग्गणाऽहिकाउं, अट्ठण्हं संतकम्मइयरेसिं । उत्तो भागो वुच्चइ, पडुच्च उण सव्वजीवा मि ॥५६।। तिरिये तह एगिदिय-णिगोअवणकायनोगणपुमेसु । दुअणाणाजय अणयण-भविमिच्छेसु असणिम्मि ||६०॥ अट्ठण्ह संतकम्मा, अणंतभागा असंखभागोऽत्थि । बायरसवेगिदिय-णिगोअकम्मणअणाहारे ॥१॥ णेया असंखभागा, सुहुमेगिदियणिगोअआहारे । पज्जसुहुमएगिदिय-णिगोअउरलेसु संखंसा ॥६२।। सुहमापज्जेगिंदिय-णिगोउरलमीसगेसु संखंसो । तिकसायेसु हीणो, चउभागो साहिओ लोहे ॥६३॥ किण्हाएऽस्थि तिभागो-ऽभहियो ऊणो य णीलकाऊसु। (गीतिः) सेसासु अणतंसो,असंतकम्माऽत्थि जाण जहि तहि सिं ।।६४॥ अट्ठण्ह संतकम्मा, असंतकम्मा य होइरेऽणंता । तरिये सव्वेगिदिय-णिगोअवणकायजोगेसु ॥६॥

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