Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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१४] मुनिश्रीषीरशेखर बिजवरचितं [ मूलपय डिसत्ता मूलगाथा मणणाणाचक्खू, दुमणोजोगव्व णवरि णायव्वा I मोहस्स संतकम्मा, कमसो संखगुणऽणंतगुणा ॥ १२६॥ गय अन्य हवेज्जा, सम्मत्तम्मि खइअम्मि अप्पबहू । परमत्थि संतकम्मा, विसेस अहिया अघाईणं ॥ १२७॥ थोवाऽत्थि संतकम्मा, अघाइचउगस्स केवलदुर्गाम्मि । ताउ अनंतगुणा से, असंतकम्मा ण सेसासु ॥ १२८ ॥ बीए खलु अहिगारे, सत्ताठाणम्मि हुन्ति संतपयं । सामिसाइआई, कालंतर मेगजीवस्स ।। १२९ ।। भंगविचयो उ भागो, परिमाणं खेत्तफोसणा कालो । अंतरभावsप्पबहू, चउदस दाराणि जहकमसो ॥ १३० ॥ अस्थि अड सत्त चउरो, तिसंतठाणाणि मूलपयडीणं । एमेव खलु तिमणुयदु- पणिदितस तिमणवयणेसु ं ॥ १३१ ॥ कायुरल अवेएस अकसाये संजमे अहक्खाये । सुक्कभविय सम्मेसु ं खड़आहारेसु णेयाणि ॥ १३२॥ दुमणवयणच उणाणति-दंसणसण्णीसु अट्ठ सत्तत्थि । अड चउरो अत्थि उरल-मीसे कम्मे अणाहारे ||१३३|| चत्तारि केवल दुगे, अड सेसासु अडसंतठाणस्स । ( गीतिः) ओहेणाए सेण वि, सामित्ताईसु मोहसंतव्व ॥ १३४॥ णवरं भागदुआरे, संखंसो अट्ठसंतठाणस्स । ( गीतिः) गयवेए अकसाये, असंखभागाऽत्थि सम्मखइए ं ॥ १३५ ॥
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