Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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३४ ] मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचितं [ हीरसौभाग्यभाष्यम्
"ताउ अपज्जत्तणरे,"तओ विसेसाहिया गरे ०.५'तत्तो। टुइअ-पढमकप्पेसु, कमा असंखगुण-संखियगुणा'२. तो॥ भवण पढमणिरयेसु, कमा असंखियगुणा"तओ णिरये । अन्भहिया अस्थि"तओ, सुक्काअ असंखियगुणा".तो ॥ कमसो पउम-तिरिक्खिी -वंतरपुमथीसु संखियगुणा''."तो । कमसोऽभहिया जोइस-तेउ-सुर-विभंग-सण्णीसु ॥१२८॥ "ता चउइंदियपज्जे,संखगुणा"."तो कमा विसेसहिया। (गी.) पज्जपणिदितिरिपणिदिणयणपज्जगवितिदियेसुतओ ॥१२९॥ पज्जतसे संखगुणा, ताउ अपज्जगपणिदितिरियम्मि । (ही.) हुन्ति असंखगुणा"तो-ऽम्भहिया ऽपज्जगपणिदिये" तत्तो। तिरियपणिदि-पणिंदि-अ-पज्जोघचउतिविइंदियेसु कमा । (ही.)
ताउ अपज्जत्ततसे, संखगुणा तो तसेऽन्भहिया ॥१३१॥ ८५.८तो पत्ते अपुहविदग-ऽणिलपज्जेसुकमा असंखगुणा (ही.) ६६. ताउ अपज्जोहेसु, कमा असंखगुणअन्भहिया ॥१३२॥ कमसोऽत्थि बायरागणि-पत्तेअवणपुहवीदगऽणिलेसु (ही.भा.) "ताउ असंखेज्जगुणा, हुन्ति अपज्जसुहमग्गिम्मि ॥१३३॥ T००.ताउ अपज्जसुहम-भू-दग-वाऊसु कमा विसेसहिया ।
"तत्तो पज्जत्तसुहम-तेउम्मि हवेज्ज संखगुणा॥१३४॥(ही.भा.) ताउ विसेसहिया-ऽगणि-सुहमे ताउ अगणिम्मि ताउ कमा। हुन्ति सुहमपज्ज-सुहम-ओहेसु कमेण भू-दग-ऽणिलेसु॥१३५॥
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