Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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हीरसौमाग्यमाध्यम ] सत्ताविहाणं तत्थ मूलपयडिसत्ता [ ३३ कोडिसहस्सपुहुत्तं, मणणाणे संजमे समइए य । कोडिसयपुहुत्तं उण, छेए सुहमे सयपुहुत्तं ॥१६॥(ही.भा.) कोडिपुहुत्तं णेया, अहखाए तत्थ खलु सयपहुत्तं । छ उमत्था जीवा लहु-जुत्ताणंता अभवियम्मि॥११७॥(ही.भा.) 'सुहमे जीवा थोवा. 'तो छउमन्था समा व अकसाये । अहखाए हुन्ति 'तओ, विसेस अहिया अवेए तो ॥११८॥ संखगुणाऽऽहारदुगे, परिहारे 'ताउ केवलदुगम्मि । (ही.भा.) तणुधारी 'तोऽभहिया, अकसाये तह अहक्खाए ॥११९॥
*ताउ भवत्था-ऽवेए, 'तत्तो छेअम्मि संखियगुणा ."तो । मणणाणसमइएसु, कमा'तओ संजमे:ऽभहिया ॥१२०॥
(ही भा) "तो संखगुणा दुमणुय-सव्वत्थेसु" तो असंखगुणा । पज्जत् वायरऽणले,"ताउ चउअणुत्तरसुरेसु॥१२१॥(ही.भा.) ".२"ताउ कमा-ऽऽणयकप्पं, जा संखगुणा तओ अमंखगुणा। देसे तो सासाणे, ताउ उबसमम्मि संखगुणा॥१२२॥(ही.) 'तत्तो मीसे संखिय-गुणा अमंखियगुणा व विण्णेया ।
ताउ खइए भवत्था,अमंखियगुणा तओ णेया॥१२३॥(ही.) ओहिदुगवेअगेसु, तओ विसेसाहिया मुणेयच्या । महसुअणाणेसु तओ,हुन्ति भवत्था उ सम्मत्ते ॥१२४॥ही.भा.) ".४"ताउ असंखगुणा-ऽन्तिम णारगपमुहऽट्ठमाइकप्पाणं । दुदुएगेगेगेगे-गदुएगेसु कमेण कमा ॥१२५॥ (ही.भा.)

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