Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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३८] मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचितं [ हीरसौभाग्यभाष्यम् संखेन्ज कोडिकोडी, गुणतीसंका व तइअजमलोप्पिं । तुरिअजमलहेट्ठा व दु-णरेसु संखा य सव्वत्थे ॥१६६।। (ही.भा.) छप्पण्णदुमयमूहअ-अंगुलबग्गेण भाइ पयरं । जोइसिए पण्णवणा-अणुओगद्दारपमुहेसु ॥१६७:। (ही०मा०) वग्गो ण पंचसंगह-जीवसमासेसु देवसण्णीसु । (गीतिः) एमेव णवरिणेयो, किंचूणो भायगो मयदुगे वि ॥१६॥(ही.मा.) भवणे पण्णवणाए, सूअंगुलपढमवग्गमूलस्स । संखंसो अणुआगे. असंखभागो अमंख सेढीओ।। १६६।। (गीतिः) भवणेऽज्जवग्गमूला-हयसूइ अगुलप्पमिअसेढी । णेया जीवसमासे, गंथे उण पंचमंगहे भवणे ।।१७०।। (गीतिः) A सेढीओ दुइअगुणिअ-मुअंगुलपढमवग्गमूलमिआ । * सेढी तइअह यदुइ-अंगुल मूलमज्जकप्पदुगे॥१७१॥(गीतिः) तइअसुरदुगे सेगारवगामलेण भाइआ सेढी । वम्हाइसुरचउक्के, सणवसगपणचउवग्गमूलेहिं ।।१७२। (गीतिः) पल्लासंखियभागो. विण्णेया सेमसुरतिणाणेसु । देसोहीसु तहुवमम-वेअगसामाणमीसेसु ॥१७॥ (ही.भा.) ऊणा घणावली उण, वायरपज्जत्तते उकायम्मि । बायरपज्जत्ताणिल-काये उण लोखंभो ॥१७४।। (ही.भा.) णेया असंखलोगा, सेसेसु छवीसकायभेएसु । सुरसंखंसो पणमण-तिवयविउवमीसपुरिसेसु। १७५(ही.मा)

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