Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 92
________________ १०४ 0U १० ११४ स्वोपझहीरसौभाग्यभाष्यसंवलिता मूलपथडिसत्ता तिरियपणिदि-पणिदि-अ-पज्जोघचउतिबिइंदियेसु कमा । (ही.) "ताउ अपज्जत्ततसे, संखगुणा तो तसेऽम्भहिया ॥१३१॥ ३५.८८तो पत्तेअपुह विदग-ऽणिलपज्जेसुकमा असंखगुणा । ही.) ६६.ताउ अपज्जोहेसु, कमा असंखगुणअब्भहिया ॥१३२॥ कममोऽन्थि बायरागणि-पत्तेअवणपुहवीदगऽणिलेसु (ही.भा.) 'ताउ अमंखेज्जगुणा, हुन्ति अपज्जमुहमग्गिम्मि ॥१३॥ १००.१०२ताउ अपज्जसुहम-भू-दग-चाऊसुकमा विसेसहिया । "तत्तो पज्जत्तसुहम-तेउम्मि हवेज्ज संखगुणा॥१३४॥(ही.मा.) ताउ विसेमहिया-ऽगणि-सुहमे ताउ अगणिम्मि ताउ कमा ।(गी.) हुन्ति सुहमपज्ज-सुहम-आहेसु कमेण भू-दग-ऽणिलेसु॥१३५॥ ताउ कमाऽणंतगुणा, अमवियकेवलदुगेसु ताउ कमा । या विसेमअहिया,अकसायअवेअखइअसम्मेसु॥१३६॥ (गीतिः) "ताउ अणंतगुणा खलु, णेया पज्जत्तवायरणिगोए । (ही.) १२२ताओ हवेज्ज बायर-पज्जेगिदिम्मि अमहिया ॥१३॥ थूल अपज्जणिगोए, तओ असंखियगुणा तओऽभहिया । वायरअपज्जिगिदिय-णिगोअएगिदियेसु कमा ॥१३८॥ (ही. भा.) तो कम्मे-ऽणाहारे,कमा असंखियगुणा-ऽहिया तत्तो ।(गीतिः) सुहमअपज्जणिगोए,असंखियगुणा' तओ विसेसहिया॥१३९॥ सुहमापज्जेगक्वे.' 'तत्तो सांखयगुणा वुरलमीसे । (ही.मा.) ५७२तत्तो संखेज्जगुणा,माणे '33 १३८..ओ विसेसहिया॥१४॥ १२४ १२६

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