Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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मुनिश्री श्री शेखर विजयरचितं सत्ताविहाणं तत्थ चरमणिरयदुपर्णिदिय-तसचक्खु अचक्खु भव्व सण्णीस (गीतिः) दु संखा - Sण्णणिरय सुरेसु खलु णिग्गमाण पुण खइए || २२१ ॥ पंचमगुणठाणे चउतिरिक्खतिणदुपर्णिदियतसेसु । बेअतिगेायणेयर भविसण्णीसु तह आहारे || २२२ || (ही.मा.)
पगा-त्थि संखा, खइए तिणरेसु णिग्गमा संखा । (ही.) ण उ दुपणिदितसणयण - इयर भवियखइअसण्णीसु ॥ २२३ ॥ ण पवेसगा णरतिगे, छट्ठपमुहणवगुणम् एत्थ तहा । संजम खायेसु णणिग्गमा बारसाइदुगे || २२४ ॥ (ही. मा.) दुपणिदित सणर्याणियर - भविसण्णीम पवेसगा णत्थि । (गीतिः) छडाइससगुणेस ण णिग्गमेवं विणा मसंतगुणं ॥ २२५।। (डी.) ण पवेसगा हवन्ते, वेअतिगे तीसु छट्टपमुहेस । (नीतिः) पुरि णणिग्गमा विय, दुविहा विण अट्ठमे कमायेमु ॥ २२६ ॥ गयवेए अकसाए, अहखाए विण ससज्जगुणठाणं । (गीतिः) ण पवेसगा अवेए, अकसाए णिग्गमा ण खीणतिगे ॥ २२७॥ ण पवेसगा माइग-गुणेसु णाणतिगओहि सुक्कासु । एमेव णिग्गमा वि य, णवरि विणा संतगुणठाणं ॥ २२८ ॥ (ही.)
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पवेसगा-माइग-गुणेसु मणणाणसंजमेसु च । केवलदुगे पवेसा, चरमे ण ण णिग्गम - तदुगे ।। २२६ ॥ ( ही ) ण पवेसगा - ऽट्ठमगुणे, समइअछेएस अट्टमाईसु । सम्मखइउवस मेसु पवेसगा णिग्गमा णत्थि || २३० ।। (ही.)
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