Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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स्वोपज्ञहीरसौमाग्यभाष्यसंवलिता मूलपडिसत्ता [५६ केवलदुग-खइआणं, साइअणंता लहू भवत्थस्स । भिन्नमुहुत्तं केवल-दुगस्स जेठूणपुवकोडी उ ॥७४॥(ही.भा.) खइअस्स भवत्थस्स य, छउमत्थस्स य लहू मुहुत्तंतो । तेत्तीमसागराई, अब्भहियाई भवे जेट्ठा ॥७५॥ (ही.भा.) दुअणाणा-ऽजयमिच्छाणऽणाइणंता अणाइसंता य । साइमपज्जवसाणा, तहआ हीणद्धपरियट्टो ॥७६॥ (ही.भा.) देसूणपुरकोडी, अहखायस्स हवए भवत्थम्म । एमा गुरुकायठिई, छउमत्थस्स उ मुहुत्तंतो ॥७॥ (ही.भा.) णीलाइच उण्ह कमा, अयरा दस तिणि दोणि अट्ठार । भवियस्स-ऽणाइसंता, अणाइणंता अभवियस्स ॥७८॥ (ही.भा.) सम्माणाहाराणं, माइअणंता य साइसंता य । सम्मस्सुदहिछमट्टी, अहियाऽण्णस्स समया तिणि ॥१६॥(ही.भा.) सम्मस्म भवन्थम्म उ, तह छ उमत्थस्स साइसंता च । एवमणाहारे पर-मन्तमुहुत्तं गुरू भवत्थम्स॥८॥(गीतिः) (ही भा.) सामायणस्स ोया, आवलिआओ छ जेहकाठिई । आहारगम्म हवए, अंगुलभागो अगं खयमो ॥८१॥ (ही.भा.) केइ उण विति हवए, संखसहस्सवरिसा समत्ताणं । बेइंदियतेइंदिय-चउइंदियबायरऽग्गीणं ॥८२॥ (ही.भा.) दो सागरा सहस्सा, समत्ततसचक्खुदंसणाण भवे । सत्तरह सत्त अयरा, होइ कमा नीलकाऊण ॥८३।। (ही भा.)

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