Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 88
________________ स्वोपज्ञहीरसौमाग्यभाष्यसंवलिता मूलपयडीसत्ता [६५ इइ मग्गणाऽहिकाउं, अट्ठण्हं संतकम्मइयरेसिं । उत्तो भागो वुच्चइ, पडुच्च उण सम्बजीवा सिं ॥५६॥ तिरिये तह एगिदिय-णिगोअवणकायजोगणपुमेसु । दुअणाणाजयअणयण-भविमिच्छेसु असणिम्मि ।।६०॥ अट्ठण्ह संतकम्मा, अणंतभागा असंखभागोऽत्थि । बायरसवेगिदिय-णिगोअकम्मणअणाहारे ॥६॥ गंया असंख भागा, सुहमेगिदियणिगोअआहारे। पज्जसुहमएगिदिय-णिगोअउरलेसु संखंसा ॥२॥ सुहुमापज्जेगिंदिय-णिगोउरलमीसगेसु संखंसो । तिकसा येसु हीणो, चउभागो साहिओ लोहे ॥६३॥ किण्हाएऽस्थि तिभागो-ऽभहियो ऊणो यणीलकाऊसु। (गीतिः) सेसासु अणंतंसो,असंतकम्माऽत्थि जाण जहि तहि सिं ॥६४॥ मज्झिमणंताणंतग-माणा मिच्छेवमजयपमुहावि । पल्लासंखंसो चउ-सासाणाइगुणठाणगया ॥९७॥ (ही.भा.) कोडिसहस्सपुहुत्तं, पमत्तइयरा हवन्ति उ सजोगी । कोडिपुहुत्तं सेसछ-गुणठाणगया सयपुहुत्तं ॥१८॥ (ही.मा.) मझिमजुत्ताणंता-ऽजोगी सिद्धा पवेसगेगाई । जाव उत्रसामगा चउ-वण्णाऽडुत्तरसयं खवगा 188॥ (ही.भा.) हुन्ति उवसामगा-ऽप्पा, पवेसगा ताउ दुगुणिआ खवगा। ताउ कमा संखगुणा, अजोगिचउउवसमगखवगा॥१०॥(ही.भा.)

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