Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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४८ मुनिभीवीरशेखरविजयरचितं [हीरसौभाग्यमाष्यम् तेर पण बार भागा, वेउव्विय-देस-सासणाण कमा । ण दुमीसजोगमीसा-णियरेसिं होइ सव्वजगं ॥२६॥ लोगासंखंसो उ अ-वेअकसायविरयाहखायाणं । (गीतिः) मरणसमुग्धाएण, सक्काए छ अड सम्मखइआणं ॥२६७॥ गमणागमणेणं अड, सुर-ऽट्ठमंतदुपणिदियतसाणं । पणमणवयकायविउव थीपुरिसकसायचउगाणं । २६८ (ही.) णाणडयरतिगअजयति-दसणपणलेसभवियअभवीणं । (गीतिः) सम्मखडअवेअगउव-समसासणमीसमिच्छसण्णीणं ।।२६२।(ही.) तह आहारस्सऽस्थि छ, भागा चउआणयाइ-सुक्काणं । सेसाण ण अस्थि असह-लेसाण वि णत्ति विति परे ॥२७०॥(ही.
इनि मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचितं सतnaहाण (सत्ताविधानं)
तत्थ मूलपयडिसत्ता
(मूलप्रकृतिसत्ता) हीरसौभाग्यभाष्यं
समाप्तम्
तत्र

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