Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
View full book text
________________
३६ ] मुनिवीरशेखरविजयरचितं .[ हीरसौभाग्यभाष्यम् ताउ मणेऽभहिया तो, कमसो सच्चियरमीसवयणेसु। (गीतिः) संखगुणा तो विउवे, तो ववहारे तओ वये-ऽन्भहिया ॥१४६॥ मज्झिमणताणंतग-माणा मिच्छेवमजयपमुहावि । पल्लासंखंसो चउ-सासाणाइगुणठाणगया ॥१४७॥ (ही.भा.) कोडि महस्सपुहुत्तं, पमतइयरा हवन्ति उ सजोगी । कोडिपुहुत्तं सेसछ-गुणठाणगया सयपुहुत्तं, ॥१४८॥ (ही.भा.) एए गुरुओ ऽत्थि पढम-तुरिआइचउक्कतेरसगुणत्था । (ही.भा.) लहुओ वि तत्तिआ खलु, एगो सेसगुणठाणगओ ॥१४९॥ मज्झिमजुत्ताणंताऽजोगी सिद्धा जहण्णउक्कोसा । (ही.भा.) सव्वह लहुओ एगो, पवेसगा णिग्गमाऽत्थि गुरुओ उ ॥१५॥ पल्लासंखंसो पण-पढमाइगुणेसु अण्णह उ संखा । (गीतिः) तहि वि उवसामगा चउ-वण्णा-ऽडुत्तरसयं खवगसिद्धा॥१५१॥(ही.) अणओगप्पण्णवणा-जीवसमासपमुहाहिपाएण । जीवा असंखसेढी, हवेज्ज णिरयज्जणिरयेसु॥१५२॥ (ही.भा.) अंगुलसूइदुइअवग्गमूलगुणिअ-उज्जवग्गमूलमिआ । (ही.भा.) अहवा अंगुलमई-सेढिदुइअवग्गमूलघणमाणा॥१५३॥ (गीतिः) • अह पंचसंगहाइसु, मूलगुणि असूइअंगुलपमाणा (ही.भा.) उअ सूइअंगुलपढम-मूलघणमिआ-ऽत्थि सेढीओ ॥१५४॥ णिअवारसदसमऽट्ठम-छट्टतइअदुइअवग्गमूलेहिं । (ही.भा.) भज्जा सेढी कमसो, अस्थि छदुइआइणिरयेसु ॥१५५॥

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132