Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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हीरस माग्यभाष्यम् ] सत्ताविहाणं तत्थ मूलपयडिंसत्ता [४१ तत्थ वि मयंतरेणं, पसगा-ऽज्जेऽत्थि णिग्गमा बीए । एगिदियभूगत-ब्वायरतप्पज्जभेएसु ॥१६६।। (ही.भा.) वणकाये पत्तेए, तप्पज्जे तह असण्णिम्मि । (उपगीतिः) सिद्धन्तमए उ विगल नप्पज्जेसु वि य एमेव ॥१९७। आइमपवेमगदुइअ-णि मुग्लमीसविउवमीसेसु । कम्मे अण्णाण तिगे.ऽणाहारे विण परे णस्थि ।।१९८॥ (ही.) केवलदुगे उ तेरस-गुणेऽस्थि ण पवेसगा खइए ।(ही.भा.) दुसु तुरिआइगुणेसु. पवेसगाणिग्गमा संखा ॥१९९।। (उपगीतिः) मग्गणपवेसगियरा, असंखमूअंगुलज्जमूलमिआ । (ही.भा.) सेढी असंखमूअंगुलमाणा व णिरयज्जणिग्यसु ॥२००। (गीतिः) मयदुगमेवं भवगण, बच्चामा छ।आणिग्येसु ।(ही.भा.) मणुए अपज्जमणुए, असंखगुणसेडिपढममूलमिआ ॥२०१॥ संखा-ऽस्थि दुणर आणय पहुडि मुराहाग्दुगअवेएसु । अकसाए मणणाणे. केवलदुगसंजमेसु तहा ॥२०२॥ (ही भा) समइअछेएस तहा, परिह गम्मि महमे अहक्खाए। अण यणभविखडएस, वरं णो गिग्गमा हुन्ति ॥२०॥ही.) केवलदुगखइएम, पवेसगा णस्थि अणयणं भवे । कप्पदुगे ऽज्जे अंगुल-बिअम्ल असंखगुण सेढी ॥२०४॥(ही मा) तइआईसु दुमु दसम-मूलअसंखगुण भाइमा सेढी । (गीतिः) चउसु कमा ऽदृछचउतिस-मूलअसंखगुणभाइआ सेढं॥२०५॥

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