Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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हीरसौभाग्य माध्यम् ] सत्ताविहाणं तत्थ मूलपयडिसत्ता [ ४३ अहवे गिदियभूदगऽतब्बायरपज्जवायरेसु वणे (ही.भा.) पत्ते तप्पज्जे, विगलेसु पज्जविगलअमणेस ॥ २१६ ॥ (गीतिः) हुन्ते पवेसगियरा, दुपणिदितसेमु णयणसण्णी । पल्लासंखियभागो, उअ आवलिआ असंखंसो ॥ २१७॥ (ही.भा.) सयमुज्झा दुइअगुणे पवेसगा मग्गणाअ उ णपु से | पल्लासंखियभागो, उअ आवलिआ असंखंसो ॥२१८॥ (ही. मा.) तिणराणयाइगेम, दुइए संखा पवेसणिग्गमगा । (ही.भा.) तुरिए णिरयतिणिरयति णराणयाइसुरउरलमीसेरु ॥२१९॥ तिरिदुपणिं दितिरिणम - थीखइएस पवेसगा संखा । गीतिः) तुरिए दुइआइणिरथ भवण तिगेसुण व ण उ तिरिच्छीए ॥ २२० ॥ चरमणिरयदुपणिदिय-तमचक्खु अचक्खु भव्वसण्णीस' (ही.मा.)
दुहा संखा ऽण्णणिग्य सुरेमु खलु णिग्गमा ण पुण खइए || २२१ ।। पंचमगुणठाणे चउतिरिक्खतिणरदुपणिदियतसेसु ं । वेअतिगे यणेयर भविसण्णीम तह आहारे ॥ २२२ ॥ (ही. पा . ) पवेसगा-त्थि खा, खइए तिणरेसु णिग्गमा संखा | ( ही ) उदुपणिदिवसणयण- इयरमवियखइअसण्णी ॥२२३॥
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ण पत्रमा णरतिगे, छट्टपण वगुणम् एत्थ तहा । संजम अहखायेमुळे, ण णिग्गमा बारसाइदुगे ॥ २२४ ॥ (ही. मा.) दुपणिदितसणयणियर - भविसणी पवेसगा णत्थि ।
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छट्ठाइससगुणेम ं णणिग्गमेवं विणा ससंतगुणं ॥ २२५ ॥ (ही.)

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