Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 58
________________ हीरसौभाग्यमाऽयम् ] सत्ताविहाणं तत्थ मूलपडिसत्ता [ ३५ 1१७ १२० १२७ ११७१२९ ताउ कमाऽणंतगुणा, अभविय केवलदुगेसु ताउ कमा । या विसेसअहिया,अकसायअवे अखइअसम्मेसु॥१३६॥ गीतिः) "ताउ अणं तगुणा खलु, णेया पज्जत्तबायरणिगीए । (ही) १२२ताओ हवेज्ज बायर-पज्जेगिदिम्मि अब्भहिया ॥१३७॥ ५२४ १२६ थलअपज्जणिगोए, तओ अमंखियगुणा तआऽभहिया । बायरअपज्जिगिदिय-णिगोअएगिदियेसु कमा ।।१३८॥ (ही.भा.) तो कम्मे-ऽणाहारे,कमा असंखियगुणा-ऽहिया तत्तो ।(गीतिः) सुहम अपज्जणिगोए,असंखियगुणा"3°तओ विसेसहिया॥१३९॥ सुहमापज्जेगवखे, 'तत्तो संखियगुणा बुग्लमीसे । (ही.भा.) ""तत्तो संखेज्जगुणा,माणे33.3ताओ विसेसहिया॥१४॥ कमसो कोहे माया-लोहेसु काउ-णील-किण्हासु । ताओ संखेज्जगुणा, उग्ले' तत्तो विसेसहिया॥१४१॥(ही.) पज्जगसुहमणि गाए,४'ताउ सुहमपन्जिगिदियम्मि"तओ। आहारे ३.१४ ताउ सुहम-णिगोअ एगिदियेसु कमा॥१४२॥ ताउ कमा भविय पणग-वणि-गिदिय-काय अमण-णपुमेसु । ताउ कमा तिरि-मिच्छ-दु-अण्णाणा-ऽजय अचक्खूसु॥१४३॥ मन्झम्मि सुकलेसा-पज्जगचउइंदियाण जहठाणं । बारसजोगप्पबहू, सयं सठाणे उणो एवं ॥१४४॥ (ही.भा.) थोवाऽस्थि विउवमीसे, ताओ संखियगुणा कमा णेया। सअसच्चगमीस-व्यवहारेसु मणजोगेसु ॥१४५॥ (ही.भा.) १५२ १५३

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