Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
View full book text
________________
हीरसौभाग्यभाष्यम् ] सत्ताविहाणं तत्थ मूल पयडिमत्ता [ २६ दुअणाणा-ऽजयमिच्छाणणाइगंता अणाइसंता य । माइमपज्जासाणा, तहआ हीणपरियट्टो ॥७६॥ (ही.भा.) देसूणपुचकोडी, अहखायस्स हवए भवत्थस्स । एमा गुरुकायठिई, छ उमत्थस्स उ मुहुत्तंतो ॥७७॥ (ही.भा.) णीलाइचउण्ह कमा, अयरा दस तिण्ण दोणि अट्ठार । भवियस्स-ऽणाइसंता, अणाइणंता अभवियस्स ॥७८॥ (ही.भा.) सम्माणाहाराणं, साइअणंता य माइसंता य । सम्मस्सुदहिछमट्टी,अहियाऽण्णस्स समया तिण्णि ॥७॥(ही.भा.) सम्मस्स भवत्थस्स उ, तह छउमत्थस्स साइसंता च । एवमणाहारे पर-मन्तमुहुत्तं गुरू भवत्थस्स।।८०॥(गीतिः)(ही.मा.) सासायणस्स णेया, आवलिआओ छ जेट्टकाठिई। आहारगस्स हवए, अंगुलभागो असंखयमो ॥८१॥ (ही.मा.) केइ उण बिति हवए, संखसहस्सरिसा समत्ताणं । घेइंदियतेइंदिय-चउइंदियवायरऽग्गीणं ॥८२॥ (ही.मा.) दो सागरा सहस्मा, समत्ततसचक्खुदंसणाण भवे । सत्तरह सत्त अयरा, होइ कमा नीलकाऊणं ॥३॥ (ही.मा.) काठिई णायव्वा, जहण्णगा दससहस्सवासाणि । णिरयपढमणिरयाणं, देवभवणवंतराणं च ॥८४॥ (ही.भा.) दुइआइगणिरयाणं, सा पढमाइणिरयाण जा जेट्ठा । खुड्डमवो तिरियतिरिय-पणिदिमणुयतदपज्जाणं ॥५॥ (ही.भा.)

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132