Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 50
________________ हीरसौभाग्यभाष्यम् ) सत्ताविहाणं तत्थमूलपयडिसत्ता [ २७ पढमाइगणिरयाणं, कमसो एगो य तिण्णि सत्त दस । सत्तरह य बाबीसा, तेत्तीसा सागरा णेया ॥५६॥ (ही.मा.) णेया उ असंखेज्जा, परिअट्टा पुग्गलाण तिरियस्स । एनिदियहरियाणं, कायणपुसग असण्णीणं ।।५७॥ (ही.मा.) तिपणिदियतिरियाणं, तिणराणं च पलिओवमा तिण्णि । अमहिया पुव्वाणं, कोडिपुहुत्तेण णायव्वा ||५८॥(ही.भा.) सव्वापज्जत्ताणं, समत्तबायरणिगोअकायस्स । पज्जत्तगसुहुमाणं, पणमणवयउरलमीसाणं ।।५९।। (ही.मा.) वेउबदुगस्स तहा, आहाग्दुगस्स चउकसायाणं । सुहुमुवसममीमाणं, भिन्नमुहुत्तं मुणेयव्वा ॥३०॥ (ही.भा.) भवणस्स माहियुदही, पल्लं वंतरसुरस्स विण्णेया। पलिओवममभहियं, जोइसदेवस्स णायव्वा ॥६॥ ही.भा.) सोहम्माईण कमा, अयरा दो साहिया दुवे सत्त । अन्महि या सत्त य दस,चउदस सत्तरह णायव्वा ।।६२।(ही.) एत्तो एगेगहिया, णायव्या जाव एगतीसुदही। उपरिमगेविज्जस्म उ, तेत्तीसा-गुत्तराण भवे ॥६३ (ही.मा.) अगुल असंखभागो, बायरएगिदियस्स सुहमाणं । तह पुहवाइचउण्हं, णेया लोगा असंखेज्जा ॥६४॥ (ही.मा.) बायरपज्जेगिंदिय - भूदगपत्तेअबाउविगलाणं । (गीतिः) संखेज्जसहस्ससमा, समत्तबेइंदियस्स संखसमा।६५॥(ही.मा.)

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