Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 49
________________ २६] मुनिश्रीषीरशेखर विजयरचितं [ हीरसौमाग्य माध्यम विकिकयमीसे हुन्ते, मिच्छा सासायणा य सम्मत्ती । णेया पमत्तजइणो, आहाराहारमीसेसु ||४६ | | ( ही. भा. ) वेअकसायतिगे खल, मिच्छत्ताइअणियद्विपज्जंता । अणियट्टिबायराई, सिद्धता अन्थि गयवेए || ४७ ।। (ही. भा. ) मिच्छाई सुमंता, हवन्ति लोहम्मि हुन्ति अकमाए । उबसंतखीण मोहा, य सजोगिअजोगिणी सिद्धा ॥ ४८ ॥ (ही. भा. ) जाणतिगे ओहिम्म य, सम्माई होन्ति खीणमोहंता । होअन्ति पमत्ताई, मणणाणे खीण मोहंता ||४९ ।। (ही. भा. ) केवलदुगे सजोगी. अजोगिमिद्धा ऽन्थि मिच्छासाणा | (गीतिः) अण्णाति हृन्ति जोगंता मंजमे पमत्ताई ॥ ५० ॥ (ही.मा.) अणियट्टिवा समइअछे पसु अप्पमत्तंता 1 परिहारे देसजई, देसे सुहमा उ सुमम्मि ॥५१॥ (ही. मा.) उबसंतखीणमोहा, सहजोगअजोगिणो अडक्खाए । उपमासु णेया, मिच्छाई अप्पमत्ता || ५२ ॥ (ही. मा.) सम्माई सिद्धता, सम्मे खडए य अप्पमतता | वे अगसम्मे णेया, उवमंनंता उवममम्मि ॥ ५३॥ (ही. मा.) ससाणे सासाणा, मीसे मीसा तहा अणाहारे । मिच्छा सासणसम्मा, सहजोगअजोगिणो सिद्धा || ५४ | ( ही ) कार्याठिई उक्कोसा, णिरयसुराणं विभंगणाणस्स | किosre सुकाए, तेसीसा सागरा णेया ॥ ९५५॥ (ही. मा.)

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