Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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१२]
मुनिश्री वीरशेखर विजयरचितं [ मूलपयडिसत्ता मूळगाथा
ओहिदुगे अहियसमा, होह परे चिंति हायणपुहुत्तं । सप्पा उग्गाण भवे, ण चेव सेससगवीसाए ।। १०६ ।। भावेणोदइएणं, सत्ताऽट्ठण्ह खइएण उ असत्ता । एवं सत्ता ऽसत्ता सप्पा उरगाण सव्वासु ॥ १०७॥ अgue अनंतगुणाऽस्थि संतकम्मा असंतकम्माओ । एमेव अणाहारे ऽहं मोहस्स य अणयणे । १०८ ।। काय उरलदुगकम्मण - भवियाहारेसु अस्थि घाईण ।
दुपणिदितसतिमण-वयसुक्कासु असंखगुणा ॥ १०६ ॥ एवं मोहस्स दुमण - वयणतिणाणोहि चक्खुमण्णी । (गीतिः) संखगुणाबाईण दु-णरविरईसु तुरिअस्स मणणाणे । ११० ।। गयवेए अकसाये, सम्मे खड़ए य अट्टपयडीणं । णेया असंतकम्माऽणंतगुणा संतकम्माओ ॥ १११ ॥ एमेव अघाईणं, हवेज्ज केवलदुगम्मि घाईणं । संखगुणाss+खाये सेमासु णत्थि अप्पबहू ।। ११२ ।। थोवा असंतकम्मा, अघाडचउगम्स तो विसेमहिया । तिन्हं घाईण तओ, मोहस्स तओ अनंतगुणा ।। ११३ || तस्स चिअ संतकम्मा, तत्तो णेया विसेसहिया । (उपगीतिः ) तिण्डं घाईण तओ, अस्थि चउन्हं अघाईणं ॥११४॥
दुपणिदितसतिमण वयसुकासु असंतकम्माऽप्पा | घाईण तिन्ह ताओ, विसेसअहियाऽत्थि मोहस्स ॥ ११५ ॥
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