Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 33
________________ १०] मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचितं [ मूलपयडिसत्तामूलगाथा घाईणं गयवेए, अकसाये संजमे अहक्खाये । लोगासंखियभागो, अड भागा सम्मखइएसु ॥८६॥ छसु वि फुसिअमखिलजगं, अघाइचउगस्स केवलदुगे वि । सेसासु सव्वलोगो, अट्ठण्डं फोसिओ णेयो । ८७।। लोगासंखियभागो, तिमणवयउरलदुगेसु आहारे । छुहिओ भवे चउण्हं. घाईण असंतकम्मेहिं ।८८।। दुमणवयणचउगाणति-दसणसणीसु जगअसंखंसो । मोहस्सोपव्व भवे, सप्पाउग्गाण बीमाए ॥८९।। अट्ठण्ह भवे कालो, सम्वद्धा मंतकम्मइयरेमि । असमत्तणरम्मि लहू, खुड्ड भवो संतकम्माणं ॥९॥ मिनमुहु विक्किय मीसे मीसुवसमेसु समयोऽन्थि । सासाणे होइ पलिअ-असंखभागो उ पंचसु वि जेट्ठो । ९१।।। होइ लहू आहारे, सुहमे समयो गुरू मुहत्तंतो । आहारमीसजोगे, दुहा अवेअअकसायेसु ॥१२॥ अहखाये घाईणं, समयो हस्सो गुरू मुहुत्तो । होइ चउअघाईण, सव्वद्धा केवलदुगे वि ।।९३ । अद्धनामयवासा, छेए अट्ठण्ह होअइ जहण्णो । जेट्ठो हवेज अयरा, पण्णासं लक्खकोडीओ ॥९४॥ परिहारम्मि जहण्णो, वीसद्धपुहुत्तमस्थि उक्कोसं । ऊणा दुपुव्वकोडी, हवेज्ज सेसासु सव्वद्धा ॥९५।।

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