Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 45
________________ २२) मुनिश्रीवीरशेखरविजयरचितं [ हीरसौभाग्वभाष्यम् होएज्ज मोहणीयं, दुविहं देसण चरित्तमेआओ । दंसणमोहो तिविहो, सम्म मीसं च मिच्छत्तं ।।६।। (ही.भा.) दुविहो चरित्तमोहो, सोलकसायणवणोकसायेहिं । तहि कोहमाणमाया-लोहक्खा चउविहकसाया ||७॥ (ही.मा.) चउहा पत्तेगमणअ-पञ्चक्खाणियरसंजलणमेआ। (गीतिः) हुन्ति णवणोकसाया, हस्सरई अरहसोगभयकुच्छा ॥८॥ (ही.मा.) थीपुरिसणपुमवेआ, इह होइ चउत्थमट्ठवीसविहं । गरयतिरिणरसुराउग-भेएहिं पंचमं चउहा ॥8॥ (ही.भा.) गइजाइतणुउवंगा, बंधणसंघायणाणि संघयणं । संठाणवण्णगंधरसफासअणुपुग्विविहयगई ॥१०॥ (ही.मा.) पिंडपयडित्ति चउदस, तह अगुरुलहूवधायपरघाया । उस्सासआयवुज्जोअनिमिणतित्थमड पत्तया ॥११॥ (ही.भा.) तसबायरपज्जत्तं, पत्तेअथिरं सुहं च सुभगं च । सुस्सरआइज्जाणि य, जसकित्ती होई तसदसगं ॥१२॥ थावरदसगं थावर-सुहमअपज्जत्तगाणि साहारं । (ही.मा.) अथिरअसुहृदुभगाणि य, दुस्सरऽणाइज्जअजसं ति ॥१३॥ पिंडपयडीण चउपण-पणत्तिगपणरसपंचछगछक्कं । पणदुपणऽहचउदुगं,पणसयरी उत्तरा भेआ ॥१४॥ (ही.मा.) णिरयतिरिणरसुरगई, इगविअतिगचउपणिदिजाईओ। उरलविउव्वाहारग-अगकम्मणसरीरा य ॥१॥ (ही.भा.)

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