Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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मूलपयडिसत्तामूलगाथा ] सत्ताविहाणं
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[ १४
अस्थि सजोगिअजोगी, चउठाणस्सऽस्थि सत्तठाणस्स । खीणकमायो सव्वह, सगठाणस्मऽस्थि ओघव ॥१३६॥ तिमणवयकायुरलदुग-कम्मणसुक्कासु आहारे । (उपगीतिः) च उठाणस्स सजोगी, सत्तरमऽण्णासु ओघव ।।१३७।। साइअधुवाणि सग-चउ-सत्ताठाणाणि अस्थि एमेव ।। सव्वासु णेयाई, सप्पाउग्गाणि ठाणाणि ॥१३८॥ : कालो भिन्नाहुत्तं, सगठाणम्स दुविहो तह जहण्णो । चउठाणस्सुक्कोसो, देसूणा पुचकोडी उ ।।१३६॥ समयोऽत्थि लहू पणमण-घयकायुरलेसु मत्तठाणस्स । जेट्टो भिन्नमुहुत्तं, दुविहो सेसासु ओघव्व ॥१४०॥ चउठाणस्स जहण्णो, समयो तिमणवयकायउरलेसु । (गीतिः) कालो भिन्नमुहुत्तं, जेठो समयो लहू उरलमीसे ॥१४॥ जेठो दुखणा कम्मे, दुहा तिसमया लहू अणाहारे । जेट्टो भिन्नमुहुत्तं, दुविहो ओघव्व सेसासु ॥१४२।। अंतरमत्थि ण सगचउ-सत्ताठाणाण एवमेव भवे । सगचउठाणाण कमा, छत्तीसाअ गुणतीसाए ॥१४।। णियमाऽत्थि संतकम्मा, चउठाणस्स खलु सत्तठाणस्स। भजणीआ मजणीआ, छत्तीसाअ सगठाणस्स ॥१४४॥ भजणीआ ओरालिय-मीसे कम्मे तहा अणाहारे । चउठाणस्स हवेज्जा, णियमा-ऽण्णासु छवीसाए ॥१४॥

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