Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 40
________________ मूलपयडिसत्तामूलगाथा ] सत्ताविहाण [ १७ सगठाणस्स उ समयो, लहुमंतरमत्थि संतकम्माणं । छम्मासा होइ गुरु', चउठाणस्संतरं णत्थि ॥१५६॥ सव्वासु लहु समयो, सगठाणस्सऽत्थि संतकम्माणं । जेड वासपुहुत्तं, माणुस्सी-तुरिअणाणेसु ॥१५७। ओहिदुगे बोद्धव्वं, वासपुहुत्तमहवा अहियवासो । छम्मासा सेसासु, बत्तीसाए मुणेयव्वं ॥१५८।। तीसु खणो चउठाणस्स लहुमुरलमीसकम्मणेसु गुरुं । वासपुहुत्तं मासा, छ अणाहारे ण सेसासु ॥१५९।। भावेणोदइएणं, सगचउठाणाण अस्थि सत्तेवं । सगचउठाणाण कमा, छत्तीसाअ गुणतीसाए ॥१६०॥ थोवाऽस्थि संतकम्मा, सगठाणस्स खलु ताउ संखगुणा । चउठाणस्सऽत्थि तओ, अडठाणस्स य अणंतगुणा । १६१॥ मणुयदुपणिदियतसति-मणवयसुक्कासु सम्मखइएसु। सगचउअडठाणाणं, कमाऽप्पसंखियअसंखगुणा ॥१६२॥ दुमणुस्ससंजमेसु, गरव्व परमत्थि अट्ठठाणस्स । संखगुणोघव्व भवे, कायुरलभवीसु आहारे ॥१६३॥ सगठाणस्स खलु दुमण-वयणतिणाणोहिचक्खुसण्णीसु। थोवा ताओ णेया, असंखियगुणाऽट्ठठाणस्स ॥१६४॥ चउठाणस्स उरालिय-मीसे कम्मे तहा अणाहारे । थोवा हवन्ति ताओ, अडठाणस्स य अणंतगुणा ।।१६५॥

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