Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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मूलपयडिसत्तामूलगाया ] ' सत्ताविहाणं मोहस्स लहू समयो, असंतकम्माण मणवयदुगे-ऽण्णो। भिन्नमुहुत्तं दुविहो, चउणाणतिदंसणेसु सण्णिम्मिा।९६॥ गीतिः) समयो घाईण उरल-मीसे हस्सोऽत्थि तिसमया कम्मे । (गीति:) दोसु गुरू संखखणा, सगकम्माण इयरासु सव्वधा ।।१७।। अट्ठण्ह अंतरं खलु, हवेज णो संतकम्मइयरेसिं । अट्ठण्ह अपज्जणरे, सासणमीसेसु संतकम्माणं ॥९८॥ (गीतिः) समयो हस्सं जेट्ट, असंखभागो हवेज पल्लस्स । समयो विउञ्चमीसे, लहु गुरु बारह मुहुत्ता ॥१६॥ आहारदुगे समयो, लहुं गुरु होइ हायणपुहुत्तं । घाईण लहुमवेए, अकसाये तह अहक्खाये ॥१०॥ समयो गुरु छमासा. परमद्धपुहुत्तमत्थि दोसु गुरुं। (गीति:) मोहम्स तासु तीसु वि, केवलजुगले य णो अघाईणं ॥१०॥ छए परिहारे लहु-मट्ठण्ड कमा सहस्सवासाणि । (गीतिः) तेवट्ठी चुलसीई, गुरुमयराऽट्ठार कोडिकोडीओ ॥१०२।। सुहमम्मि लहु समयो, गुरु छमासाऽत्थि उवसमे समयो। लहुमण्णं सत्त दिणा, ण सेसगुणसटिजुत्तसये ॥१.३॥ दुमणवयणचउणाणति-दंसणसण्णीसु लहु चउत्थस्स । (गीतिः) घाईण उरलमीसे, कम्मे समयो असंतकम्माणं ॥१०४॥ दुमणवयणाणदंसण-सण्णीसु गुरु हवेज्ज छम्मासा । वासपुहुत्तमुरालिय-मीसे कम्ममणणाणेसु ॥१०॥

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