Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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मूलपयडिसत्तामूलगाथा ]
सत्ताविहाणं
घाईण अघाईणं, केवलिखेत्तम्मि केवलदुगे वि । अट्ठण्ह ऊणलोए, बायरपज्जत्तवाउम्मि ॥७॥ लोगासंखिय मागे, अण्णह घाईण जगअसंखसे । णेया असंतकम्मा, तिमणवयउरलदुगेसु आहारे।।७७॥ (गीतिः) दुमणवयणचउणाणति-दसणसण्णीसु मोहणीयस्स । लोगासंखियभागे, असंतकम्मा मुणेयव्वा ॥७८॥ लोगासंबंसेसु, समत्तलोए व कम्मणे णेया । घाईणोघव भवे, सप्पाउग्गाण सेसासु ॥७९॥ अट्टह सव्वलोगो, परिपुट्ठो होइ संतकम्मेहिं । इयरेहि वि घाईण अ-घाईणं जगअसंखंसो ॥८॥ णिरयचरमणिरयेसु, चउणयपहुडिदेवसुक्कासु । भागा छ अस्थि फुसिआ, अट्ठण्हं संतकम्मेहिं ॥४१॥ णवरि अघाईण सयल-लोगो सुक्काअ होइ परिपुट्ठो । लोगासंखियभागो-उज्जणिरयगेविज्जणवगेसु ॥२॥ पंचसु अणुत्तरेसु, आहारगदुगविउव्वमीसेसु । मणणाणसमइएसु, छेए परिहारसुहमेसु ॥८३॥ दुइआइणिरयपणगे, विउवे देसम्मि सासणे कमसो । इगदुतिचउपण तेरह, पण बारह फोसिआ भागा ॥८४॥ णव भागाऽत्थि फरिसिआ, सुरईसाणंततेउलेसासु। सेससुरतिणाणावहि-पम्हुवसममीसवेअगेसु अड ।।८५||(गीति:)

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