Book Title: Mulpayadisatta
Author(s): Virshekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 28
________________ मूलपपडिसत्तामूलगाथा ) सत्ताविहाणं दुइअचरमाण एवं, तुरिअअसंते सिआऽण्णसत्तण्हं । एगअघाइअसंते, णियमा सेसाण सत्तण्हं ॥३६॥ संतस्स सण्णियासो, अट्ठण्होघव्व अत्थि तिणरेसु। दुपणिंदितसेसु तह, तिमणवयणकायजोगेसु ॥३७।। ओरालिये अवेए, अकसाये संजमे अहक्खाये । सुक्काए भविये तह, सम्मे खइअम्मि आहारे ॥३८॥ दुमणवयणचउणाणति-दंसणसण्णीसु मोहसत्ताए । अण्णेसि णियमाऽण्णिग-संते छह तुरिअस्स सिआ॥३९॥ णियमेगघाइते, सत्तण्हऽण्णाण उरलमीसम्मि । कम्माणाहारेसु', अघाइचउगस्स ओघव्व ॥४०॥ सेसासु एगसंते, णियमाऽण्णेसिं भवे असंतस्स । अट्टण्होघव्य भवे, अवेअअकसायसम्मखइएसु॥४१।। (गीतिः) तिमणुयदुपणिदियतस-तिमणवयणकायउरलजोगेसु । संजम अहखायेसु, सुक्काभवियेसु आहारे ॥४२॥ मोह असते तिण्हं, सिआ असत्ता हवेज्ज घाईणं । सेमिगघाइअसंते, सेसतिघाईण णियमाऽस्थि ॥४३॥ णियमिगघाइअसंते, घाइतिगम्सुरलमीसकम्मेसु । एमेव केवलदुगे, अघाइचउगस्सऽणाहारे ॥४४॥ णियमिगघाइअसंते-ऽण तिघाईणं सिआ अघाईणं । एगअघाइअसंते, णियमाऽण्णेसिं ण सेसासु ॥४॥

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