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प्रकाशकीय निवेदन
प्रस्तुत ग्रन्थरत्न के प्रणेता परम पूज्य गणिवर्य श्री. वीरशेखरविजय महाराज साहब का हम सवन्दन आभार मानते हैं। आपके अथक, अविरत, अविरल, एवं सतत परिश्रम के फलस्वरूप ही हम इस ग्रन्थरत्न को पाठकों के करकमलों में समर्पित करने में सक्षम रहे हैं ।
मुद्रण करने में संस्था के निजी ज्ञानोदय प्रिन्टिंग प्रेस के मेनेजर श्रीयुत शंकरदास एवं उनके अन्य कर्मचारी गण भी धन्यवाद के पात्र हैं। __ इसके अतिरिक्त जिस किसी ने भी जिस किसी भी तरह से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से ग्रन्थ-प्रकाशन में सहायता की हो, उन सभी महानुभावों के प्रति हम अपना हार्दिक आभार प्रदर्शित करते हैं ।
द्रव्यसहायक-शा. तेजमल जवेरचन्दजी सुपुत्र हरखचन्द (पिंडवाडा निवासी) ने श्रुतभक्ति से अनुप्रेरित एवं अनुप्राणित होकर इस ग्रन्थरत्न के मुद्रण में द्रव्यराशि के सम्यक सहयोग से यथोचित योगदान किया है, अतः हम इनके प्रति ऋणी एवं आभारी हैं।
नजदीक भविष्य में और प्रकाशन की आशा में