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मृत्यु और परलोक यात्रा सभी अस्वाभाविक क्रियाएँ शरीर को हानि पहुंचाती हैं। योग साधना करने वाले अधिकांश व्यक्ति इन्हीं अस्वाभाविक क्रियाओं को विधिपूर्वक न करने से रोगग्रस्त हो जाते हैं तथा इनका इलाज भी असम्भव है।
अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से सूक्ष्म शरीर को स्थूल शरीर से अलग करने के कई उदाहरण हैं। - (१) वुडलैण्ड (अमेरिका) के डाक्टर जियोबर्नहाट ने एक ऐसा अनुभव किया जिसमें वे इच्छा मात्र से तुरन्त अपने गन्तव्य स्थान पर पहुंच गए। उन्होंने लिखा कि सन् १९७१ में उनका पुत्र वियतनाम के मोर्चे पर था। वह किसी खतरे में था। वह उन्हें पुकार रहा था। इसके साथ ही उनका शरीर हवा से भी हल्का हो गया और तुरन्त वुडलैण्ड से वियतनाम पहुंच गए।
वहाँ जाकर देखा उनका लड़का तम्बू में फँसा है व चारों ओर आग लगी है व उसके ऊपर एक लोहे का वजनी ट्रंक गिर पड़ा है जिसके नीचे वह दब गया है। उसने ट्रंक को अपने लड़के जॉन के ऊपर से हटाया और तम्बू के बाहर ले जाकर उसे खड़ा किया। इसके बाद उसका शरीर पूर्ववत् होने लगा आँखें खोलीं तो प्रतीत हुआ कि जैसे तन्द्रा टूटी हो । पास बैठी पत्नी ने अनुभव किया कि जैसे वे असामान्य व्यक्ति (एब्नार्मल) हैं । छ: महीने बाद जब जान छुट्टी पर लौटा तो उसने उस अग्निकांड में फंस जाने व चमत्कारी ढंग से बचने की घटना सुनाई । यह उनका सूक्ष्म शरीर ही जॉन को बचाने गया था।
(२) दूसरा उदाहरण अमेरिका की विश्व विख्यात अभिनेत्री एलीजाबेथ टेलर का है। उसका अनुभव था कि उसके