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पुनर्जन्म और अवतार
[ १२६ व्यक्तित्व बनता है । पूर्व जन्मों में सभी भिन्न-२ वातावरण में पैदा हुए थे इसलिए उसके अनुसार उनके संस्कार भी भिन्नभिन्न होते हैं। ___ वर्तमान जीवन में चाहे उन्हें एक ही समान वातावरण दिया जाए तो भी उनकी यह भिन्नता उभर कर आ जाती है। इसका कारण उनके पूर्व जन्म के संस्कार ही हैं । किन्तु इनके प्रभाव को शिक्षा, माता-पिता अथवा समाज के वातावरण से कम भी किया जा सकता है किन्तु थोड़ा-सा ही उस प्रकार का वातावरण मिलने पर शीघ्र ही उभर कर प्रकट हो जाते हैं। ये दब जाते हैं किन्तु नष्ट नहीं होते। इनके प्रभाव को कम करना ही नैतिकता है। । ऐसे संस्कार जब कभी प्रकट होते हैं तो वे मनुष्य के व्यक्तित्व का ढाँचा ही बदल देते हैं । अच्छे संस्कार आत्मज्ञान, यतीन्द्रिय ज्ञान, प्रभु कृपा, सत्संग आदि से प्रकट होते हैं अन्यथा वे सुप्त ही पड़े रहते हैं। आज का वातावरण बुरे संस्कारों को उभारने का साधन बन गया है । आज का व्यक्ति इस समय के वातावरण से ही अधिक प्रभावित हो रहा है तथा किसी प्रकार इस दुनिया में अपनी व्यवस्था मात्र बिठा रहा है । अपने पूर्व संस्कारों का ज्ञान उन्हें होता ही नहीं।
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