Book Title: Mrutyu Aur Parlok Yatra
Author(s): Nandlal Dashora
Publisher: Randhir Book Sales

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Page 135
________________ अष्टावक्र गीता (राजा जनक और ज्ञानशिरोमणि अष्टावक्र का ज्ञान सम्वाद) व्याख्याकार-श्री नन्दलाल दशोरा अष्टावक्र गीता भारतीय अध्यात्म का शिरोमणि ग्रन्थ है जिसकी तुलना किसी अन्य से नहीं की जा सकती। आत्मज्ञान प्राप्ति की अनेक विधियाँ हैं और विभिन्न धर्मों में विभिन्न विधियां अपनाई जाती हैं। किन्तु अष्टावक्र सीधा अज्ञान पर चोट करते हैं वे किसी विधि, क्रिया, पूजा, प्रार्थना, ध्यान, कर्म, भक्ति, भजन, कीर्तन, हठयोग आदि कुछ भी आवश्यक नहीं मानते। वे मानते हैं कि ये सभी क्रियायें आडम्बर व दिखावा मात्र हैं जिससे धार्मिक तो दिखाई देता है किन्तु उपलब्धि नहीं हो सकती । उपलब्धि के लिए बोधमात्र पर्याप्त है । जैसे अन्धकार स्वयं लुप्त हो जाएगा, किन्तु लोग दीपक जलाना छोड़ कर अन्धकार को सीधा हटाने की प्रक्रिया में सब साधनायें कर रहे हैं जो व्यर्थ ही नहीं मूर्खता पूर्ण भी है । ज्ञान प्राप्ति का मार्ग केवल बोध है। अष्टावक्र ने ऐसा केवल उपदेश ही नहीं दिया बल्कि राजा जनक पर प्रयोग करके वैज्ञानिक दृष्टि से सत्य सिद्ध करके दिखा दिया है कि यह कोई सैद्धान्तिक वक्तव्य नहीं अपितु प्रयोग सिद्ध वैज्ञानिक सत्य है । इस दृष्टि से इसे भारत का नहीं विश्व-अध्यात्म का शिरोमणि ग्रन्थ माना जाता है । यह पुस्तक आत्म ज्ञान के मुमुक्षु व्यक्तियों के लिए निश्चित ही एक ऐसी नौका है जिसमें बैठकर सांसारिक बन्धनों से मुक्त होकर मोक्ष का लाभ प्राप्त किया जा सकता है, जो जीवन की उच्चतम स्थिति है। मंगाने का पतारणधीर बुक सेल्स (प्रकाशन) हरिद्वार (उ० प्र०)

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