Book Title: Mrutyu Aur Parlok Yatra
Author(s): Nandlal Dashora
Publisher: Randhir Book Sales

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Page 74
________________ मृत्यु के बाद का जीवन [७३ उनकी आवाजें भी सुनता है किन्तु उसकी आवाज कोई नहीं सुनता। वह अपने पार्थिव शरीर की अन्त्येष्टि होते भी देखता ____अन्ततः उसे एक अन्धेरी गुफा में होकर जाने की अनुभूति होती है। फिर वह स्वयं को एक प्रकाश लोक में पाता है। यहाँ उसके मित्र, परिवार की सभी दिवंगत आत्माएँ उससे 'मिलती हैं और उसकी सहायता करती हैं। इस दिव्य लोक में उसे असीम आनन्द, प्रेम व सुख की प्राप्ति होती है। वह पुनः इस भौतिक शरीर में आना नहीं चाहता किन्तु किसी अज्ञात प्रेरणा से उसे पुनः आना पड़ता है।" । - ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि मृत्यु के उपरान्त भी हमारी सूक्ष्म सत्ता विद्यमान रहती है तथा पुनर्जन्म के समय यही अपने उपयुक्त भौतिक शरीर में प्रवेश करती है। पुनर्जन्म की भी कई घटनाएँ हैं जिसमें आत्माएँ अपने पूर्व जन्म का हाल बताती है । वे अपने नाते-रिश्तेदारों को भी पहचान लेती है। इन सबका यही अर्थ है कि मृत्यु सिर्फ शरीर की ही होती है। जीवात्मा बार-बार शरीर परिवर्तन करती है। सम्मोहन क्रिया द्वारा भी व्यक्ति को अपने पूर्व जन्मों में प्रवेश कराकर इस चेतना का हाल जाना जाता है। इससे भी इसका समर्थन होता है।

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