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महावीर : परिचय और वाणी
होने का अर्थ ही है ऐसी आत्मा होना जो अब सिर्फ मार्ग दिखाने को पैदा हुई हो । और जो अभी स्वय ही मार्ग खोज रहा हो वह मार्ग नही दिखा सकता । मार्ग क्या है, इसका पता मार्ग पर चलने से नही, मंजिल पर पहुँच जाने से लगता है । चलते समय तो सभी मार्ग ठीक ही मालूम होते है । उस समय यह जांचने की कमीटी भी नही होती कि जिस मार्ग पर चल रहे है, वह ठीक है या नही । मार्ग के ठीक होने की एक ही पहचान है कि वह मंजिल तक पहुँचा दे । लेकिन जो मंजिल पर पहुँच जाता है, उसका मार्ग समाप्त हो जाता है । व्यान रहे कि मजिल पर पहुँच जाना उतना कष्टसाध्य नही है जितना मजिल पर पहुँचकर मार्ग पर लौट आना । मुक्ति के मजिल पर पहुँचते ही मुक्तात्माएँ खो जाती है निराकार मे । लेकिन थोडी-मी आत्माएँ फिर अँधेरे पंथो पर वापस लौट आती हैं । ऐसी ही आत्माएँ तीर्थकर कहलाती है । किसी-किसी परम्परा मे ये अवतार ईश्वरपुत्र या पैगम्बर के नाम से सम्बोधित होती है ।
पैगम्बर, तीर्थकर, अवतार का एक ही अर्थ है — ऐसी चेतना जिसका काम पूरा हो चुका और जिसके लिए लौटने का कोई कारण नही रह गया । फिर भी ऐसी चेतनाएँ परम विश्राम के क्षण मे भी मंजिल पर न रुककर वापस लौट आती है । ऐसी ही आत्माएँ मार्गदर्शक होती है ।
तीर्थ कहते है उस घाट को जहाँ से पार हुआ जा सके । अत तीर्थकर है उस घाट का मल्लाह जो पार करने में सहायता करे, रास्ता बताए ।
इस जन्म मे महावीर का और कोई प्रयोजन नही है अव । इसलिए उनके बचपन का सारा जीवन घटनाओ से शून्य है | आम तौर से जिन्हे हम विशिष्ट पुरुष कहते है, उनके वचपन मे विशिष्ट घटनाएं नही घटती । चारो ओर चुप्पी होती है । वे चुपचाप वडे हो जाते है और उस क्षण की प्रतीक्षा करते होते है जब वे उसे देने मे समर्थ हो सकेगे जिसे देने के लिए उनका जन्म हुआ है । मेरी दृष्टि मे महावीर को वर्ष - मान का नाम इसलिए मिला । वे वर्धमान इसीलिए नही कहलाए कि पैदा होने से उनके घर मे सब चीजो को बढती होने लगी, धन वढने लगा, यश वढने लगा | उनके नाम की अर्थवत्ता इसमे है कि वे चुपचाप वढने लगे और उनके आसपास कोई घटना न घटी । उनका वढना उतना ही चुपचाप था जितना पौधो का वडा होना या कलियो का फूल बनना होता है। पौधे वडे होते है, कलियाँ खिलती है, पर इसके लिए कही कोई शोरगुल नहीं होता, आवाज नही होती । महावीर का चुपचाप वढना दिखाई पडने लगा होगा, क्योकि घटनाओ का न घटना बहुत वडी घटना है । ऐसा भी कोई व्यक्ति है जिसके जीवन मे कोई घटना न घटी हो, जो इतना चुपचाप वढने लगा हो कि चारो तरफ कोई वर्तुल पैदा न हुआ हो समय मे, क्षेत्र मे ? घटनाओ के न घटने से
आप दोगे और