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महावीर : परिचय और वाणी
इसमें सन्देह नहीं कि उनसे – देवलोक में, प्रेतात्माओ से सम्बन्धित होने का जो मार्ग है वह हमारे भीतर है और आज प्रगुप्त है। मनुष्य के मनिया का सायद एक तिहाई भाग काम कर रहा है। इससे वैज्ञानिक भी चिन्तित है। उनका वाल है कि यदि हमारे मस्तिष्क का वह बड़ा हिस्सा जो निष्क्रिय पड़ा है। सक्रिय हो जाय तो नई इन्द्रियो का तुलना शुरू हो जायगा और जीवन तथा अस्तित्व की अनन्त सम्मावनाओ से हमारे सम्बन्त्र जुडने शुरू हो जायेंगे । तीनरी जांस की बात हम निरन्तर सुनते रहे है | अगर वह हिस्सा जो हमारी दोनो आगों के वीन निष्फिर पत्र है, सक्रिय हो जाय - - हमारी तीसरी गांरा खुल जाय-- तो हम कुछ ऐसी बातें देवना शुरू कर देंगे जिनकी हमे आप कल्पना तक नही है । वह तोमरी आंस रेडार में भी अद्भुत होगी । उसके लिए स्थान और कल के परदे न होगे। वह नविन की बहुत-सी सम्भावनाओ को पकट सकेगी, दूसरे के मन में चलनेवाले विचारों की झलक पा लेगी । मस्तिष्क का एक हिस्सा जो आज निष्क्रिय पडा है, वह सक्रिय होते ही हमे देवलोक से जोड़ सकती है। स्विग्नबोर्ग नामक एक व्यक्ति ने अपनी पुस्तक 'स्वर्ग और नरक' मे देवताओ के सम्बन्ध मे बहुत अद्भुत बाते कही हैं । यूरप मे देवलोक के सम्बन्ध मे जानकारी रसनेवाला पहला आदमी वही था । उसने अपनी पुस्तक मे आँखो देखे वर्णन दिए है ।
पिछले विश्वयुद्ध में एक व्यक्ति रेलगाडी मे गिर पडा और गिरते ही उसके मस्तिष्क का एक निकिन भाग सक्रिय हो गया । उसे दिन मे तारे दिखाई पडने लगे। बाद मे डाक्टरो ने उसके सिर का ऑपरेशन किया ताकि उसे दिन में तारे न दिखाई पडे । इसी प्रकार एक अन्य व्यक्ति को दूसरे महायुद्ध मे ही चोट लगी और वह अस्पताल लाया गया । उसे महसूस हुआ कि उसके कान रेडियो की भांति ध्वनियाँ पकडने लगे है । उस आदमी के पागल होने की नौबत आ गई ।
शायद हमे पता नही कि हमारे मस्तिष्क की सम्भावनाएँ अनन्त हैं । महावीर को पता था कि देवलोक से सम्बन्धित होने के लिए मस्तिष्क मे एक विशेष हिस्सा है जिसका सक्रिय होना जरूरी है । प्रश्न है कि यह हिस्सा सक्रिय कसे हो ? इस सम्बन्ध मे पहली बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति समग्र चेतना से, अपने सारे शरीर को छोडकर सिर्फ दोनो आँखो के बीच आज्ञाचक्र पर ध्यान स्थिर करता रहे तो जहाँ हमारा ध्यान स्थिर होता है वही सोए हुए केन्द्र तत्काल सक्रिय हो जाते है । ध्यान सक्रियता का सूत्र है । शरीर मे किन्ही भी केन्द्रो पर व्यान स्थिर करने से वे केन्द्र सक्रिय हो जाते हैं । उदाहरण के लिए 'सेक्स सेन्टर' को ही ले । जैसे ही आप का ध्यान यौन- केन्द्र की तरफ जायगा, वह केन्द्र तत्काल सक्रिय हो जायगा । सिर्फ ध्यान जाने से ही स्वप्न मे भी, जरा सी कल्पना उठते ही सेक्स वासना का केन्द्र सक्रिय हो जाता है । आज्ञाचक्र वह जगह है जिसे दूसरे लोग 'तीसरी आँख ' भी कहते
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