________________
महावीर परिचय और वाणी
१२१
स्वीकृत हुई तो उनसे पुरानी व्यवस्था, पुरानी पला अस्त व्यस्त हो जायगी । इस लिए व दरवाने वाद कर रखते है जिनसे उनकी सला मे नई प्रतिमाओं का प्रवेश हो । उनकी पुरानी खला में जो लोग सम्मिलित हो पाते हैं उनम भी अस्त त करने की प्रवृत्ति थी, लेकिन अनुयायी उनको बाता का मलवद्ध कर लेत ह उन संगति बिठा लेते हैं । मुहम्मद के बाद मुसलमानो न दरवाजा वाट कर लिया, जिसके बाद ईसाइया ने और युद्ध के बाद बौद्धा ने। वहा जाता है कि बुद्ध मत्रेय के रुप में एक और अवतार लेंगे, लेकिन वह अवतार मो बुद्ध हो लेंगे, कोई दूसरी आत्मा नही ।
दो तीन सौ वर्षों म रमण और कृष्णमूर्ति सबसे ज्या प्रतिभाशाली आदमी हुए, लेकिन न तो रमण के पीछे कोई मरा बन सकी और न कृष्णमूर्ति के पीछे । पुण्मृति ऐसी शृखला बनाने के विराध म ह जोर रमण के पीछे कोइ श्रृंखला ग न पाई। इस कीमत का कोइ जादमी न मिला जा रमण के सदेश को आगे वडा भने । रामकृष्ण को विवेकानद मिए । विवाद क्तिगाली पुग्य थे, अनुभवी हा । शक्तिशाली होने की वजह से उन्हान चन तो चला दिया, लविन चत्र में ज्यादा जान नही है । वह चरनेवाला रही है। रामकृष्ण बहुत अनुभवी थ, लेकिन तीथ पर होने की काई स्थिति नहा थी उनकी। इसलिए उन्होन विवेभान व पर शथ रसवर शिव का नाम विवाद से ही लिया। लेकिन चूंकि विवेकानन्द अनु मनी न थे, इसलिए श्रृंखला वन न पाई | रामकृष्ण की मृत्यु हो गई। फिर विवेका
रह गए और उन्होन ही रामकृष्ण ने अनुमया को व्यवस्था दी । यह व्यवस्था है । यदि विवाद के पास रामकृष्ण ने अनुभव होते तो एक पल शुरू हो जाती ।