Book Title: Mahavir Parichay aur Vani
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 321
________________ महावीर परिचय और वाणी ३२७ दूसरे दिन आपके जीने वा रम भी बहुत बढ़ जाएगा। दूसरे दिन धीरे धीरे बाप बहुत-सी चीजो के प्रति जागरूप हो जाएंगे, जिनके प्रति आप कभी भी जागरूप न थे | अगर आप प्रतिक्रमण की पूरी यात्रा करते हैं तो आपने जीवन मसौदय और रस व अनुभव का एक नया आयाम सुरना शुरू हो जाएगा । पूरा घटना आप जी सक्ने म समय होंगे । और जब भी पूरी घटना वो जी रिया जाता है तब आप उस घटना वा दुवारा जीने की आकाक्षा से मुक्त होने लगते हैं । अगर कोई व्यक्ति एक बार भी किसी घटना को पूणतया भागवार निवल जाता है ता उसकी इच्छा उसे दुहरान की नहीं होती । इस प्रकार प्रतिक्रमण भविष्य और अतीत, दानों से छुटकारे की विधि है। इस प्रतिक्रमण को इतना गहरा करते जाएं fr एक घडी ऐसी आ जाए जब आप याद न करें, केवल घटनाओं को रिलिव' बरें, उहें पुनरुज्जीवित करें उन्हें फिर से पियें। आप यह पावर हैरान होंगे कि वे घटनाए फिर से जियी जा सकती है । जिस दिन आप दिन की घटनाओं का फिर से जीने में समय हो जाएंगे उस दिन रात में सपना का आना बंद हो जाएगा, क्याकि सपने में आप उही घटनाया को फिर से जीन की कोशिश करते है, और कुछ नहीं करते। अगर आपने रात सोने से पहले होशपूर्वक पूरे दिन को पूरा जी लिया है तो आपने उससे निपटारा कर लिया है अब वह अध्याय समाप्त हो गया है। अब कुछ न तो याद करने की जरूरत रही और न पुन जीने की जरूरत । ध्यान वा अभाव ही विक्षिप्तता है। ध्यान को उपरुष व्यक्ति के सपन राय हो जाते ह । जब रात स्वप्न समाप्त हो जात है, तब आप सुबह एसे उठते है जसे सूरा जगा है । उस जागी हुई चेतना में विचार आपके गुलाम हो जाते हैं मालिक नही होते । महावीर कहते है कि जब तक विचार मालिक है तब तक ध्यान क्स हो पाएगा ? विचार वी मालकियत आपकी होनी चाहिए तभी ध्यान हो सकता है । दूसरा प्रयोग सुबह जागने के समय करें। जैसे ही जागे वैसे ही पहले विचार की प्रतीक्षा करें। जब पहा विचार आए उसे तत्काल पक्डें देखें कि वह कब आता है। धीरे धीरे आप हैरान होंगे कि आप उसे पवटन की जितनी ही कोशिश करत ह वह उतनी ही देर से आता है। कभी घटा लग जाएंगे और पहला विचार नही जाएगा । विचार रहित यह एवं घटा आपकी चेतना का शीवासन से हटाकर सीधा सड़ा करने में सहयागी बनेगा। आप पैर के बल खड़े हो सकेंगे । घटा भर तो बहुत दूर की बात है, अगर एक मिनट के लिए भी काई विचार न आए तो आपको अनुभव होना गुरू हो जाएगा कि विचार है और निविरार होना स्वग मे होना है । पिस दिन कोई यक्ति निविचार हो जाता है उस दिन उसका ध्यान चेतना पर जाता है और एक बार चेतना पर ध्यान चल जाए तो फिर चेतना का विस्मरण नही

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