Book Title: Mahavir Parichay aur Vani
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 242
________________ २४४ महावीर : परिचय और वाणी शरीर की मांग- भूख, प्यास आदि - छूट जाए' ? अगर जमीन कशिश छोड सकती है, अगर प्रकृति का एक नियम टूट सकता है, तो सब नियम टूट सकते है । यह भी स्मरण रहे कि सिद्धासन में बैठना गरीर मे पिरामिड की ही आकृति पैदा करना है । बुद्ध और महावीर की सारी मूर्तियां जिस आसन में है, वह पिरामिडिकल है। जमीन पर दोनो पैर का आधार वडा हो जाता है और ऊपर सब छोटा होता जाता है, सिर पर शिखर हो जाता है, एक त्रिकोण वन जाता है । ऐसे आसन को सिद्धासन कहते है | क्यो ? क्योकि इस आसन मे सरलता से प्रकृति के नियम अपना काम छोड देते है और प्रकृति के ऊपर परमात्मा के जो गहन सूक्ष्म नियम है, वे भी काम नही करते । ( ७ ) शरणागति की अपनी आकृति है, अहकार की अपनी आकृति । अहकार को हम सदा खडा हुआ ही सोच सकते है । शरण का भाव लेट जाने का भाव है, किसी विराट् शक्ति के समक्ष अपने को छोड देने का भाव है । महावीर ने बारह वर्षो मे केवल तीन सौ पैसठ दिन भोजन किया । ग्यारह वर्प बिलकुल नही । फिर भी महावीर से ज्यादा स्वस्थ शरीर खोजना मुश्किल है । महावीर के पीछे चलनेवाले व्यक्ति इसके रहस्य को समझ नही पाए । इस सम्बन्ध मे राबर्ट पावलिता द्वारा किए गए कुछ प्रयोग बड़े प्रासंगिक हैं । उसने वरफिलाव नामक व्यक्ति को तीन सप्ताह के लिए सम्मोहित रखा और सम्मोहन की अवस्था मे उसे बार-बार झूठा भोजन दिया । वरफिलाव की जाँच के लिए डॉक्टर नियुक्त किए। वे रोज आते और बताते कि वरफिलाव का शरीर और भी स्वस्थ होता चला जा रहा है । उसको जो शारीरिक तकलीफ थी, वह पांच दिन के बाद विलीन हो गई, उसका शरीर पूर्ण स्वस्थ हो गया । सातवे दिन के बाद शरीर की सामान्य क्रियाएँ भी वन्द हो गई । उसका वजन वढ गया । इस प्रयोग के बाद महावीर को समझना आसान होगा । इसलिए मैं कहता हूँ कि जिन लोगो को भी उपवास करना हो, वे तथाकथित जैन साधुओ के उपवास के पागलपन मे न पडे | उन्हे कुछ भी पता नही है । वे सिर्फ भूखे मरवा रहे है, अनगन को उपवास कह रहे है । उपवास की तो कोई और ही वैज्ञानिक प्रक्रिया है । और अगर इस भाँति प्रयोग किया गया तो वजन नही गिरेगा । परन्तु महावीर का वह सूत्र खो गया। सम्भव है, राबर्ट पावलिता-जैसे लोग उस सूत्र को फिर से पैदा कर ले | लेकिन हम अभागे लोग धर्म की बातो और विवादो मे इतना समय नष्ट करते और करवाते हैं कि सार्थक बातो को करने के लिए समय और सुविधा नही बच रहती । पावलिता का प्रयोग वेहोश और सम्मोहित आदमी पर किया गया है । महावीर तो पूर्ण जाग्रत पुरुष थे । वे उन जाग्रत लोगो मे से थे जो निद्रा मे भी जाग्रत रहे । तो महावीर का सूत्र क्या था ?

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