Book Title: Karmagrantha Part 2
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 8
________________ ( 2 ) कार्यक्रमों का आयोजन ! व्यस्त जीवन में आप १०-१२ घण्टा मे अधिक समय तक आज भी शास्त्र स्वाध्याय, साहित्य सर्जन आदि में लीन रहते हैं । गत वर्ष गुरुदेवश्री ने इस कार्य को आगे बढ़ाने का संकल्प किया। विवेचन लिखना प्रारम्भ किया । विवेचन को भाषाशैली आदि दृष्टियों से सुन्दर एवं रुचिकर बनाने तथा फुटनोट, आगमों के उद्धरण संकलन, भूमिका-लेखन आदि कार्यों का दायित्व प्रसिद्ध विद्वान श्रीयुत श्रीचन्द जी सुराना 'सरस' को सोंपा गया। श्री सुराना जी गुरुदेवश्री के साहित्य एवं विचारों के अतिनिकट सम्पर्क में हैं! गुरुदेव के निर्देशन में उन्होंने अत्यधिक श्रम करके यह विद्वत्तापूर्ण तथा सर्व साधारणजन के लिए उपयोग किया है। इस विवेचन से एक दीर्घकालीन अभाव की पूर्ति हो रही है। साथ ही समाज को एक सांस्कृतिक एवं दार्शनिक निधि नये रूप में मिल रही है, यह अत्यधिक प्रसन्नता की बात है । मुझे इस विषय में विशेष रुचि है। मैं गुरुदेव को तथा सम्पादक बन्धुओं को इसकी संपूर्ति के लिए समय-समय पर प्रेरित करता रहा । प्रथम भाग के पश्चात् यह द्वितीय भाग आज जनता के समक्ष आ रहा है। इसकी मुझे हार्दिक प्रसन्नता है । - सुकन मुनि "

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