________________
करणानुयोग दीपक
द्वितीय भाग
प्रथमाधिकार
मङ्गलाचरण
शुक्लथ्यानप्रचण्डाग्नि-संदग्धाखिल-कर्मकम् । वर्थमानं जिनं नत्वा पश्चिम तीर्थनायकम् ।।१।। बालानां हितबुद्ध्याहं प्रेरितोऽद्य यथागमम् करोमि वर्णनं किंचित् कर्मणां हतशर्मणाम् ।।२।।
१. प्रश्न : कर्म किसे कहते हैं ? उतरः कर्म, कार्मण वर्गणारूप उन पुद्गल परमाणुओं को कहते
हैं जो जीव के रागादिक विकारी भावों का निर्मगत पाकर कर्मरूप परिणत हो जाते हैं।