________________
३७५ ३७९ ३८१
३८५
३९० ३९४ ३९८
४०१ ४१०
४२४
४२५ ४३२ ४३६
९८
३. तत्त्वार्थसूत्र और वेदान्तदर्शन में सम्यग्दर्शन : डॉ. (सुश्री) सरोज कौशल ४. बौद्ध-जैन दर्शन में सम्यग्दर्शनः एक समीक्षा : डॉ. भागचन्द्र जैन भास्कर ५. महात्मा गाँधी की दृष्टि में जागृत मनुष्य : डॉ. डी.आर. भण्डारी ६.संशय, युक्ति और विश्वास
: डॉ.राजेन्द्र स्वरूप भटनागर ७.सम्यग्दर्शन और श्रीमद् राजचन्द्र
डॉ. युके.पुंगलिया ८.गीता का सम्यक् दर्शन-समदर्शन : डॉ. नरेन्द्र अवस्थी ९.दाष्ट-भेद
: प्रज्ञाचक्षु स्वामी शरणानन्दजी १० सम्यग्दर्शन के आठ अंग
: आचार्य रजनीश ११. मूर्तिपूजा एवं देव-देवियों सम्बन्धी मिथ्यात्व : श्री बिरधीलाल सेठी १२.धर्म के दोहे
: श्री सत्यनारायण गोयनका
परिशिष्ट श्वेताम्बर-ग्रन्थों में सम्यग्दर्शन दिगम्बर-ग्रन्थों में सम्यग्दर्शन संस्कृत-ग्रंथों में सम्यक्त्व और मिथ्यात्व
विचार/कविता/तथ्य/प्रसंग आत्म-जागृति
: आचार्य श्री हस्ती आत्म-दर्शनः सम्यग्दर्शन
उपाध्याय श्री पष्करमनि जी म.सा. सम्यग्दर्शनः दो भावबिम्ब
: डॉ. संजीव प्रचण्डिया ‘सोमेन्द्र' सम्यग्दर्शन-आत्मजागृति
: आचार्य श्री हस्ती सम्यक्त्व-सप्तति
संकलित सम्यक्त्व-निरूपक ग्रंथ
: संकलित भयंकर पाप
: श्री दिलीप धींग जैन सच्ची राह
श्री चौथमलजी म.सा. सम्यक्त्वी के अबन्ध
श्री गणेश प्रसाद जी वर्णी समकित-आराधन
: आचार्य श्री आत्मारामजी म.सा. गुरुस्वरूप
: मोक्खपदं से समझो चेतनजी अपना रूप
आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. सम्यक्त्व: इन्द्रियादि मार्गणाओं में
सर्वार्थसिद्धि से निर्भयता
: स्वामी सत्यभक्त अनुकम्पा और आस्तिक्य
: आचार्य श्री घासीलालजी म.सा.
आचार्य श्री घासीलाल जी म.सा. सम्यक्त्व-ग्रहण सूत्र
: श्री वर्धमान सूरि सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि के ज्ञान में भेद
लाल जी म.सा. सम्यक्त्व-बैंक
: डॉ. वीड़ी.जैन प्रज्ञा की आँख दो
: श्री दिलीप धींग जैन बिन समकित के ज्ञान न होवे
: श्री चौथमलजी म.सा. अमृत-कुण्ड
: पर्युषण पर्वाराधन से विचार-कण
: आचार्य श्री हस्ती श्रद्धा है एक ऐसा विश्वास
: श्रीपाल देशलहरा कुछ तथ्य
: कर्मग्रन्थ से नर से नारायण
: बलवन्तसिंह हाडा आत्म-परिणति
उपाध्याय श्री पष्करमनि जी म.सा. सम्यग्दर्शन
: श्री दिलीप धींग जैन भगवान तुम्हारी शिक्षा से
: आचार्य श्री हस्ती समकित नहीं लियो रे
: देवीचन्द जी
१२३ १२७ १६२ १८२
१८६
शम
१९० १९४ २१४ २१६ २२० २६७ २७२ २८७ ३०४ ३१४ ३३७ ३४३ ३४६ ३५०
३६०
३७० ३८९
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org