Book Title: Jayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Author(s): Aradhana Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
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संस्थापित : 1 सितम्बर 1996
फोन नं. 384663
श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान
जैन नशियां, नशियां रोड सांगानेर ( पंजीयन सं. 320 दिनांक 25-8-96 )
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प्राचीन समय से ही जयपुर जैन संस्कृति का प्रमुख केन्द्र रहा है और समय पर जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में अमूल्य
यहां के विद्वानों ने समय योगदान दिया है ।
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इस क्रम में दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृति महाविद्यालय सौ वर्ष से अधिक समय से प्रयास रत है । परन्तु छात्रावास के अभाव में विद्यालय में जो श्रमण संस्कृति के उपासक विद्वान तैयार होने चाहिए थे वे नहीं हो पा रहे हैं जिसके फलस्वरुप विभिन्न धार्मिक समारोह एवं पर्वो पर विद्वानों की मांग आने पर भी पूर्ति करने में असमर्थता रहती थी जिससे जैन संस्कृति के सिद्धान्तो एवं ज्ञान का वांछित प्रचार प्रसार नहीं हो पा रहा है इसी अभाव की पूर्ति हेतु पूज्य 108 आचार्य संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रतिभाशाली शिष्य प्रवर मुनिवर 108 श्री सुधासागर जी महाराज की प्रेरणा और आशीर्वाद से श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान की स्थापन 1 सितम्बर, 1996 को अपार जन समूह के बीच की गई । इस संस्थान के माध्यम से एक छात्रावास - जिसमें 200 छात्र रहकर जैन दर्शन का अध्ययन करेंगे और विद्वान बनकर समाज में जैन तत्वज्ञान और श्रमण संस्कृति का प्रचार प्रसार करेंगे |
इस संस्थान के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं
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1. दिगम्बर जैन धर्म अनादि काल से प्रचलित है जिसकी श्रमण परम्परा भी अनादि काल से शाश्वत रुप से चली आ रही है और वर्तमान में भी विद्यमान है । उसी पवित्र श्रमण परम्परा ( 28 मूलगुणों को निर्दोष पालन करने वाली ) को संरक्षित करना तथा श्रावकों को उनके कर्तव्य एवं संस्कारों से अलंकृत कराना उन संस्कारों का सिखाने के लिये छात्रों को श्रमण संस्कृति रक्षक / उपासक विद्वानों के रुप में तैयार करना इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य है ।
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